मिल्खा सिंह: संघर्षो की बुनियाद पर उपलब्धियों की कहानी लिखने वाला 'Flying Sikh'
Zee News
यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि इस पृष्ठभूमि से निकलकर कोई 'फ्लाइंग सिख' बन सकता है. उन्होंने हालात को खुद पर हावी नहीं होने दिया.
नई दिल्ली: मिल्खा सिंह के लिये ट्रैक एक खुली किताब की तरह था जिससे उनकी जिंदगी को "मकसद और मायने" मिले. संघर्षों के आगे घुटने टेकने की बजाय उन्होंने इसकी नींव पर उपलब्धियों की ऐसी अमर गाथा लिखी जिसने उन्हें भारतीय खेलों के इतिहास का युगपुरूष बना दिया. मिल्खा सिंह का कोरोना वायरस से एक महीने तक जूझने के बाद चंडीगढ़ में कल देर रात निधन हो गया. 91 वर्ष के मिल्खा ने जिंदगी में इतनी विकट लड़ाइयां जीती थी कि शायद ही कोई और टिक पाता. उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने से पहले पीटीआई से आखिरी बातचीत में कहा था,"चिंता मत करो, मैं ठीक हूं, मैं हैरान हूं कि कोरोना कैसे हो गया. उम्मीद है कि जल्दी अच्छा हो जाऊंगा."More Related News