
'प्रोफेशनल वर्क और फैमिली टाइम को मैनेज करें' 70 घंटे वर्क वीक पर बोलीं अनु आगा
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अनु आगा ने कहा कि भारत में यह आसान है, क्योंकि घर पर बहुत से परिवार के सदस्य मदद करते हैं. मुझे नहीं लगता कि आपको संतुलन बनाना है, आपको अपने परिवार और कंपनी के हिसाब से खुद को मैनेज करना है.
बिजनेस टुडे माइंडरश पर बोलते हुए थर्मैक्स की पूर्व अध्यक्ष अनु आगा ने कहा कि युवाओं को कंपनी वर्क और फैमिली टाइम को मैनेज करने की जरूरत है. वर्क लाइफ बैलेंस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं वर्क लाइफ बैलेंस से खुश नहीं हूं. आपको कभी-कभी काम पर एक्स्ट्रा घंटे लगाने पड़ते हैं और कभी-कभी घर पर आपकी जरूरत होती है.
उन्होंने कहा कि भारत में यह आसान है, क्योंकि घर पर बहुत से परिवार के सदस्य मदद करते हैं. मुझे नहीं लगता कि आपको संतुलन बनाना है, आपको अपने परिवार और कंपनी के हिसाब से खुद को मैनेज करना है. अगर आप फ्रांस की तरह संतुलन चाहते हैं, तो कंपनी आपको नहीं रखेगी.
आगा, जिन्होंने 2004 में थर्मैक्स की चेयरपर्सन के पद से संन्यास ले लिया था, ने अपने निजी जीवन में आने वाली कई चुनौतियों का जिक्र किया, जिसने आखिरकार उनके कारोबारी जीवन के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि 1996 में उनके पति के जाने के बाद, उन्हें अपने पति के निधन के तीन दिन बाद ही थर्मैक्स के बोर्ड में शामिल होने के लिए कहा गया था.
शिक्षा में CSR (Corporate Social Responsibility) बेस के साथ, वह कंपनी चलाने को लेकर संशयी और आत्मविश्वासहीन थीं. वह संघर्ष को बढ़ने और सीखने के अवसर के रूप में देखती हैं. आगा ने कहा कि संघर्ष हर किसी के जीवन में है. आप इससे सीख सकते हैं और इसका सामना कर सकते हैं. आपके मुकाबला करने के तरीके अलग हो सकते हैं. यह न कहते रहें: यह मैं ही क्यों हूं?' क्योंकि इसका कोई जवाब नहीं है और यह बहुत सारी ऊर्जा लेता है. बस इसे स्वीकार करें और इसका सामना करना सीखें.'
82 साल की आगा को अक्सर थर्मैक्स को एक संघर्षशील कंपनी से ऊर्जा और पर्यावरण परियोजनाओं में एक ग्लोबल इंजीनियरिंग पावरहाउस में बदलने का श्रेय दिया जाता है.
आगा को समाज कल्याण के लिए उनके परोपकारी कार्यों के लिए भी पहचाना जाता है. वह गांधीजी के ट्रस्टीशिप मॉडल में विश्वास करती हैं. उन्होंने कहा कि जब मुझे अध्यक्ष बनाया गया, तो हमने समाज को एक छोटी राशि देने का फैसला किया. यह सीएसआर अनिवार्य किए जाने से बहुत पहले की बात है. वह एक छोटी सी बात थी. हमने थर्मैक्स के लाभांश का 50% परोपकार के लिए भी दिया और इसे वंचितों को शिक्षित करने, स्वास्थ्य सेवा और पशु कल्याण पर खर्च किया.

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