
टैक्स स्लैब, TDS समेत रिबेट तक... 1 अप्रैल से लागू होंगे टैक्स संबंधी ये बड़े नियम
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बजट 2025 में मिडिल क्लास को राहत देते हुए कई बड़े ऐलान किए गए थे, जिसमें टैक्स स्लैब में बदलाव से लेकर टीडीस, टैक्स रिबेट और अन्य चीजें शामिल थीं. वहीं पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह पर नए इनकम टैक्स बिल का प्रस्ताव रखा था.
बजट 2025 में मिडिल क्लास को राहत देते हुए कई बड़े ऐलान किए गए थे, जिसमें टैक्स स्लैब में बदलाव से लेकर टीडीस, टैक्स रिबेट और अन्य चीजें शामिल थीं. वहीं पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह पर नए इनकम टैक्स बिल का प्रस्ताव रखा था. यह सभी बदलाव 1 अप्रैल 2025 से प्रभाव में आने वाले हैं, जिसमें अब कुछ ही दिन बचे हैं. सरकार द्वारा यह संशोधन टैक्स स्ट्रैचर को सरल करना, कंजम्पशन को बढ़ाना और आर्थिक बढ़ावा देना है.
नया टैक्स स्लैब नई व्यवस्था के तहत सालाना 12 लाख रुपये तक कमाने वाले व्यक्तियों को टैक्स का भुगतान करने से छूट दी जाएगी. इसके अलावा, वेतनभोगी कर्मचारी 75,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए पात्र होंगे. इसका मतलब है कि 12.75 लाख रुपये तक की वेतन आय अब टैक्स से मुक्त हो सकती है. हालांकि, यह छूट केवल उन लोगों पर लागू होती है जो नया टैक्स विकल्प चुनते हैं. वहीं इससे ज्यादा होने पर नए टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स भरना होगा. जो इस प्रकार है...
धारा 87A के तहत टैक्स रिबेट सबसे बड़ा बदलाव नई कर व्यवस्था चुनने वाले करदाताओं के लिए धारा 87A के तहत छूट को पहले के 25,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया गया है. इस टैक्स रिबेट में बढ़ोतरी का मतलबह है कि 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों पर इस व्यवस्था के तहत कोई टैक्स देनदारी नहीं होगी, जिससे टैक्स फ्री इनकम की सीमा बढ़ जाएगी.
सोर्स पर टैक्स कटौती (TDS) सोर्स पर टैक्स कटौती (TDS) विनियमों को भी अपडेट किया गया है, जिसमें अनावश्यक कटौती को कम करने और टैक्सपेयर्स के लिए कैश फ्लो में सुधार करने के लिए विभिन्न वर्गों में सीमा बढ़ाई गई है. उदाहरण के लिए, वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज आय पर टीडीएस की सीमा दोगुनी करके 1 लाख रुपये कर दी गई है, जिससे बुजुर्गों के लिए वित्तीय सुरक्षा बढ़ गई है.
इसी तरह, किराये की आय पर छूट की सीमा बढ़ाकर 6 लाख रुपये सालाना कर दी गई है, जिससे मकान मालिकों के लिए बोझ कम हो गया है और शहरी क्षेत्रों में किराये के बाजार को बढ़ावा मिल सकता है.
अपडेटेड टैक्स रिटर्न केंद्रीय बजट में अपडेटेड टैक्स रिटर्न (ITR-U) फाइल करने की समयसीमा को प्रासंगिक मूल्यांकन वर्ष के 12 महीने से बढ़ाकर 48 महीने कर दिया गया है, जिससे टैक्सपेयर्स को भारी जुर्माना लगाए बिना टैक्स दायित्वों का पालन करने के लिए अधिक विस्तारित अवधि मिल जाएगी. इस कदम से टैक्सपेयर्स की रिटर्न दाखिल करने में अनजाने में होने वाली देरी के बारे में चिंता कम होने की उम्मीद है.

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