पहाड़ों पर कहां बनाए घर... क्या वहां होगी लैंडस्लाइड? ये पता लगाएगा IIT Delhi का नया ऐप
AajTak
भूस्खलन बड़ी आपदा बन रही है. उसमें आपके जानमाल का नुकसान न हो, इसके लिए IIT Delhi ने नया वेब ऐप बनाया है. इससे आप समझ जाएंगे कि आपको भविष्य में घर कहां बनाना चाहिए और कहां नहीं. हाल ही में वायनाड, मंडी, शिमला, रुद्रप्रयाग और केदारनाथ में भूस्खलन से भारी तबाही मची थी.
IIT Delhi ने लैंडस्लाइड यानी भूस्खलन की भविष्यवाणी और मैपिंग के लिए वेब ऐप तैयार किया है. इससे किसी भी इलाके की लैंडस्लाइड हिस्ट्री 3 से 5 मिनट में तैयार हो जाती है. इसे बनाया है IIT दिल्ली के प्रोफ़ेसर मानाबेंद्र सहारिया ने. इस ऐप का नाम है Cascade. इसमें पीएचडी स्कॉलर निर्देश ने भी साथ दिया.
यह ऐप लैंडस्लाइड वाले इलाकों की मैपिंग करता है. अभी देश में लैंडस्लाइड मैपिंग का काम असल में भूस्खलन वाली जगह पर जाकर होता है. इसमें काफी ज्यादा समय लगता है. कई ऐसी जगहें हैं जहां जा पाना मुश्किल होता है. ये वेब ऐप इस काम को सैटेलाइट इमेज से 3 से 5 मिनट में पूरा कर देता है.
यह भी पढ़ें: कुदरती कहर के पूर्वानुमान में भारत आगे, Wayanad landslides पर भी चेतावनी, क्या है अर्ली वार्निंग सिस्टम?
किस तरह का फायदा होगा इससे?
1. लैंडस्लाइड मैपिंग से यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि किसी जगह पर पहले लैंडस्लाइड होते रहे हैं. ये भी माना जाता है कि अगर किसी जगह पर पहले लैंडस्लाइड हुआ है तो वहां फिर लैंडस्लाइड होगा. कई बार यह जानकारी न होने के चलते लोग पहाड़ों पर घर बना लेते हैं. सड़क बन ली जाती हैं. जिसका नुकसान होता है. इस ऐप से किसी जगह की भी लैंडस्लाइड हिस्ट्री निकाली जा सकती है.
भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में एक नई जंग होती दिख रही है. ये जंग सैटेलाइट कम्युनिकेशन स्पेक्ट्रम को लेकर है, जिसमें बड़ी भारतीय टेलीकॉम कंपनियां एक तरफ हैं. जियो और एयरटेल की मांग है कि सैटेलाइट कम्युनिकेशन के लिए भी टेलीकॉम स्पेक्ट्रम वाले ही नियम का पालन किया जाना चाहिए. वहीं मस्क इस बात से अलग विचार रखते हैं. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.