पसमांदा पर प्यार, गरीबों को रोजगार, विश्वास बढ़ाने के लिए संवाद और महिलाओं पर फोकस... बीजेपी की मुस्लिम पॉलिटिक्स को समझिए
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बीजेपी एक तरफ राम मंदिर में रामलला की प्रतिष्ठा के जरिए 2024 चुनाव के लिए हिंदुत्व की पिच तैयार करने में जुटी है तो दूसरी तरफ 'शुक्रिया मोदी भाईजान' जैसे अभियान के जरिए मुस्लिम समाज में भी सियासी जमीन तैयार करने की रणनीति पर काम कर रही है. बीजेपी की मुस्लिम पॉलिटिक्स किस राह पर है?
देश लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चुनावी मोड में आ चुकी है. एक तरफ अयोध्या में राम मंदिर में रामलला को विराजमान करने की तैयारियां चल रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी अब मुस्लिमों को कनेक्ट करने की रणनीति पर भी काम कर रही है. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा 12 जनवरी से मुस्लिम महिलाओं को लेकर 'शुक्रिया मोदी भाईजान' अभियान शुरू करने जा रहा है जिसके लिए पार्टी ने 'न दूरी है, न खाई है... मोदी हमारा भाई है' नारा दे दिया है.
बीजेपी एक तरफ राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के जरिए हिंदुत्व की पॉलिटिक्स को धार देने में जुटी है. दो करोड़ से अधिक लोगों को अगले दो-तीन महीनों में रामलला के दर्शन कराने की तैयारी कर रही है तो वहीं साथ ही साथ मुस्लिम समाज के बीच भी सियासी जमीन तैयार करने की रणनीति पर काम कर रही है. बीजेपी की यह रणनीति 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' नारे के इर्द-गिर्द ही नजर आ रही है लेकिन सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या बात बस इतनी सी ही है या पार्टी और पीएम मोदी भविष्य के लिए नया समीकरण गढ़ने की कोशिश में हैं?
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया था. तब मध्य प्रदेश के चुनाव कार्यक्रम का ऐलान भी नहीं हुआ था. लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के अभियान का आगाज बताए गए इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस पसमांदा मुस्लिमों पर रहा. पीएम ने पसमांदा पर फोकस कर जिस मुस्लिम पॉलिटिक्स की पिच तैयार करने की शुरुआत की थी, बीजेपी अब उस सियासी पिच को मजबूत करने में जुट गई है.
पसमांदा मुस्लिमों को साधने का प्रयास
पीएम मोदी और बीजेपी का फोकस आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से पिछड़ा माने जाने वाले पसमांदा मुसलमानों साधने पर है. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में दानिश आजाद अंसारी को मंत्री बनाया जाना भी बीजेपी की पसमांदा पॉलिटिक्स से जोड़कर ही देखा जाता है. दानिश भी पसमांदा समाज से ही आते हैं. इसके साथ ही पसमांदा मुस्लिमों को टारगेट कर मोदी सरकार ने शादी शगुन, उस्ताद, मुस्लिम पसमांदा उत्थान और अल्पसंख्यकों के लिए कौशल विकास योजना जैसी कई योजनाएं भी शुरू की हैं. बीजेपी की रणनीति साफ है, धर्म से ऊपर उठकर लाभार्थी वाले एंगल से पसमांदा को पार्टी से जोड़ना.
मुस्लिमों का आर्थिक सशक्तिकरण
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