पंडिताई करने अमेरिका गया और 14 साल तक फंसा रहा... मां की अर्थी को कंधा तक न दे पाए एक बेटे की कहानी
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कृष्ण कुमार द्विवेदी अपने घर से 2008 में स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती चैरिटेबल ट्रस्ट नैनी प्रयागराज गए थे. जिनका अच्छा कार्य होने पर संस्था की तरफ से उन्हें 26 जनवरी 2011 को 50 महर्षि वैदिक पंडितों के साथ अमेरिका शिकागो भेजा गया था.
MP News: छतरपुर जिले के रहने वाले कृष्ण कुमार द्विवेदी को पता नहीं था कि भारत से अमेरिका जाना तो हो जाएगा, लेकिन लौटना कितना मुश्किल होगा. यह उन्होंने बीते 14 सालों में महसूस किया. वीजा की समय अवधि खत्म होने के कारण वह शिकागो (Chicago) में ही फंसकर रह गए थे. जहां से वह 14 साल बाद अपने स्वदेश आ सके हैं. अमेरिका से लौटकर गांव पहुंचे कृष्ण कुमार का ढोल नगाड़ों से स्वागत किया गया.
कृष्ण कुमार द्विवेदी पुत्र बाबूराम द्विवेदी अपने घर से 2008 में स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती चैरिटेबल ट्रस्ट नैनी, इलाहाबाद (प्रयागराज) गए थे. जिनका अच्छा कार्य होने पर संस्था की तरफ से उन्हें 26 जनवरी 2011 को 50 महर्षि वैदिक पंडितों के साथ अमेरिका शिकागो भेजा गया.
संस्था के नियम अनुसार, जिस वैदिक पंडित का आचरण अच्छा होता है तो उसे 2 साल की जगह 3 साल तक वैदिक महर्षि आश्रम शिकागो में रहने को मिल जाता है. लेकिन कृष्ण कुमार द्विवेदी उन 50 वैदिक पंडितों में से कुछ पंडितों के साथ अलग होकर शिकागो सिटी घूमने चले गए. जहां वह उस संस्था से 6 दिन बाहर रहे. वहीं वह अपने लिए रोजगार की तलाश करने लगे. जबकि उन्हें यह मालूम नहीं था कि शिकागो में रुकने के लिए एक समय सीमा निर्धारित होती है.
वीजा एक्सपायर होने पर शिकागो में फंस गए
इसी बीच, अमेरिका में कृष्ण कुमार द्विवेदी का वीजा एक्सपायर हो गया और वह शिकागो में ही फंसकर रह गए. उन्होंने स्वदेश वापसी के तमाम जतन भी किए. अमेरिकी दूतावास में मौजूद भारत के अधिकारियों के साथ पत्राचार भी किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. यहां तक कि मां के अंतिम संस्कार के लिए भी की कृष्ण कुमार स्वदेश नहीं लौट पाए. अब 14 साल बाद काफी मुश्किलों के बाद उनकी घर वापसी हो सकी है.
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