न परेड निकली न याद आए बंगबंधु... शेख हसीना सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश में पहली बार मना विजय दिवस
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मुख्य सलाहकार यूनुस और राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन ने ढाका के बाहरी इलाके सावर स्थित राष्ट्रीय स्मारक पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. यूनुस ने अपने टेलीविजन संबोधन में कहा,
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने सोमवार को देश के 54वें विजय दिवस के अवसर पर इसे "अत्यंत महत्वपूर्ण" बताया. इस वर्ष का उत्सव पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद पहली बार मनाया गया. विजय दिवस बांग्लादेश की आजादी के साथ 1971 में पाकिस्तान सेना के आत्मसमर्पण की याद में मनाया जाता है. यूनुस ने अपने संबोधन में इसे "दुनिया की सबसे खराब तानाशाही सरकार" के पतन के रूप में सामने रखा और कहा कि यह विजय दिवस "असाधारण महत्व" रखता है. हालांकि, उन्होंने अपने भाषण में देश के संस्थापक नेता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान का जिक्र नहीं किया.
देश के शहीदों को श्रद्धांजलि मुख्य सलाहकार यूनुस और राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन ने ढाका के बाहरी इलाके सावर स्थित राष्ट्रीय स्मारक पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. यूनुस ने अपने टेलीविजन संबोधन में कहा, "मैं उन लाखों शहीदों को याद करता हूं, जिनमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग शामिल हैं, जिनके बलिदान से हमारी स्वतंत्रता संभव हुई." हालांकि, यूनुस ने 1971 के राजनीतिक नेतृत्व और शेख मुजीबुर रहमान का कोई उल्लेख नहीं किया. उन्होंने कहा, "हमारी गलतियों के कारण हम अपनी उपलब्धियों को संपूर्णता नहीं दे सके. हाल ही में एक 'राक्षसी तानाशाही सरकार' ने देश पर कब्जा कर लिया था, जो यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही थी कि देश के हित में कुछ भी न रहे."
यूनुस ने कहा कि "विश्व की सबसे खराब तानाशाही सरकार (हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार)" के पतन और एक जन आंदोलन के कारण इसे भागने के लिए मजबूर करने से इस वर्ष का विजय दिवस अधिक महत्वपूर्ण हो गया. शेख हसीना की सरकार 5 अगस्त को एक छात्र आंदोलन के बाद गिर गई थी, जिसके बाद उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी. हसीना के पतन के बाद प्रोफेसर यूनुस को मुख्य सलाहकार (प्रधानमंत्री के समकक्ष) के रूप में एक अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया.
परेड रद्द, जश्न का नया तरीका इस वर्ष विजय दिवस पर राजधानी ढाका में पारंपरिक विजय दिवस परेड आयोजित नहीं की गई. मुक्ति संग्राम मामलों के सलाहकार फारूक-ए-आज़म ने बताया कि सशस्त्र बलों की व्यस्तता के कारण परेड का आयोजन संभव नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि इसके बजाय देश भर में 'विजय मेलों' का आयोजन किया गया, जिसमें कला और शिल्प प्रदर्शन, कृषि उत्पादों का प्रदर्शन और घरेलू सामानों की प्रदर्शनी शामिल है.
आज़म ने कहा, "इस बार का उत्सव सभी के लिए समावेशी है, जिसमें स्कूलों द्वारा अपने-अपने कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं." सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है ताकि हर क्षेत्र में उत्सव का माहौल बनाया जा सके.
विजय दिवस समारोह में पूर्वी तिमोर के राष्ट्रपति जोस रामोस-होर्टा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. इस मौके पर भारत के आठ सैन्य दिग्गज ढाका पहुंचे, जबकि बांग्लादेश के आठ युद्ध वीर कोलकाता में विजय दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए.
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