कनाडा: जस्टिन ट्रूडो पर बढ़ा इस्तीफा देने का दबाव, खुद की पार्टी के सांसदों ने भी छेड़ी मुहिम
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कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा है, क्योंकि उनके मंत्रिमंडल के प्रमुख सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है और उन्होंने आर्थिक नीतियों की आलोचना की है. उनकी पार्टी के लिए
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. अपने ही मंत्रियों के इस्तीफे के बाद अब पद छोड़ने को लेकर उन पर काफी दबाव बन रहा है. अपनी लिबरल पार्टी में भी उनका विरोध शुरू हो गया है. उनके सीनियर मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है और बजट को संभालने को लेकर उनकी आलोचना की है. आलम ये है कि अब संसद में विपक्षी पार्टियों ने भी इस्तीफे के लिए उनपर दबाव बनाना शुरू कर दिया है.
पिछले लगभग एक दशक से देश का नेतृत्व कर रहे जस्टिन ट्रूडो हाल के वर्षों में महंगाई और लिविंग कॉस्ट जैसे मुद्दों के कारण अपनी लोकप्रियता भी खो चुके हैं. लिबर पार्टी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि वह अपने पद से तत्काल इस्तीफा दें, या त्वरित पद से हटाने का कोई तरीका नहीं है. हालांकि, संसद में "अविश्वास" प्रस्ताव के माध्यम से उनकी पार्टी को सत्ता से बाहर किया जा सकता है, जिसके बाद संभव है कि चुनाव कंजर्वेटिव पार्टी के पक्ष में चला जाएगा.
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अगर विपक्ष ने संसद में लाया अविश्वास प्रस्ताव!
अगर विपक्षी पार्टी जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाती है और उसमें ट्रूडो की पार्टी की जीत भी होती है - जो कि अब असंभव सा है - तो अगले चुनाव तक वह पीएम के पद पर बने रह सकते हैं. लिबरल पार्टी के सांसदों ने भी ट्रूडो के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है, इस बीच सरकार में प्राकृतिक संसाधन मंत्री जोनाथन विल्किंसन का कहना है, "हमें उन्हें थोड़ा वक्त देना चाहिए ताकि वह सोच सकें."
जस्टिन ट्रूडो दे सकते हैं अपने पद से इस्तीफा
विश्वास मत सत्र के दौरान 733 संसद सदस्यों में से 207 ने शोल्ज सरकार के पक्ष में मतदान किया जबकि 394 ने विरोध में वोट डाला. यह प्रस्ताव पिछले महीने शोल्ज के तीन-पक्षीय गठबंधन के पतन के बाद आया है. शोल्ज ने बजट और आर्थिक नीतियों पर असहमति के कारण नवंबर में पूर्व वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर को बर्खास्त कर दिया था.
सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल असद ने देश से भागने के बाद निर्वासन में अपने पहले बयान में कहा कि देश छोड़ना उनके लिए कभी एक विकल्प नहीं था. न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार बशर अल-असद ने पिछले हफ्ते अपने शासन के पतन के बाद सोमवार को अपना पहला बयान जारी किया. इसमें उन्होंने कहा कि 'शरण उनके लिए कभी भी एक विकल्प नहीं था'.