तालिबान समेत दुनिया के वो 5 आतंकी संगठन, जिन्होंने ताकत के लिए खून से लाल किए अपने हाथ
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अफगानिस्तान तो सिर्फ एक बहाना है, सच तो ये है कि बुराई का कोई वक्त, कोई दौर नहीं होता. जापान से लेकर जर्मनी तक, रूस से लेकर हिंदुस्तान तक और अब सीरिया से खुरासान तक. अपने-अपने वक्त में इन सभी जगहों पर बुराईयों की इबारत लिखी जा चुकी है. खून के दाग अगर घुड़सवारों पर है तो व्हाइट कॉलर वाले भी दूध के धुले नहीं हैं.
इस दुनिया में इंसान के साथ ऊपर वाले ने दो और चीज़ें भेजी थीं. अच्छाई और बुराई. जैसे-जैसे इंसानियत आगे बढ़ी वैसे-वैसे वक्त के साथ अच्छाई और बुराई भी बढ़ती गई. फर्क बस इतना था कि जितनी तेज़ी से अच्छाई बढ़ रही थी, उससे कई गुना तेज़ी के साथ बुराई खुद को बढ़ा रही थी. हर दौर में हमारे समाज के अंदर बुराई हावी रही. पहले लोग ज़मीन जायदाद और पैसों के लिए लड़ते थे लेकिन अब जंग पॉवर की है यानी ताकत की. इसकी मौजूदा मिसाल अफगानिस्तान में हर गुज़रते वक्त के साथ साथ गढ़ी जा रही है.महाराष्ट्र के ठाणे में एक बच्ची का शव मिलने के बाद लोग आक्रोशित हो गए. दरअसल उल्हासनगर इलाके में तीन दिनों पहले एक बच्ची लापता हो गई थी जिसके बाद परिजनों ने थाने में गायब होने की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. इसी के बाद गुरुवार को उसका शव हिल लाइन पुलिस स्टेशन से कुछ दूरी पर मिला जिसे देखकर स्थानीय लोग भड़क गए.
गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका के निवेशकों के पैसे से भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और ये रिश्वत भी उन प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई, जिससे 20 वर्षों में अडानी ग्रुप की एक कम्पनी को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी भारतीय रुपयों में लगभग 16 हज़ार 881 करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है. आरोप है कि इस मुनाफे के लिए साल 2021 से 2022 के बीच आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ की सरकारों को लगभग 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई.