झारखंड में खुलेगा अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज, CM हेमंत सोरेन ने किया शुभारंभ
AajTak
रांची से लगभग 30 किमी की दूरी पे इटकी में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन एक विश्व स्तरीय यूनिवर्सिटी, 500 बेड वाला मेडिकल कॉलेज तथा स्कूल का निर्माण करेगा. इटकी में संस्थान द्वारा 5 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है. आने वाले समय में इटकी का देश में अलग पहचान होगा.
रांची से लगभग 30 किमी की दूरी पे इटकी में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन एक विश्व स्तरीय यूनिवर्सिटी, 500 बेड वाला मेडिकल कॉलेज तथा स्कूल का निर्माण करेगा. इटकी में संस्थान द्वारा 5 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है. आने वाले समय में इटकी का देश में अलग पहचान होगा. वर्ष 2026 तक अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय एवं स्कूल में पठन-पाठन का काम शुरू होगा. अजीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे कार्यों की रोशनी दूर तलक पहुंचेगी. कमजोर से कमजोर परिवार तक फाउंडेशन की सहायता पहुंचाने का कार्य प्रतिबद्धता के साथ किया जाएगा.
खनिज संपदाओं से हटकर विकास के अन्य संभावनाओं को तलाशने का काम हुआ अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के पहल पे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार खनिज संपदाओं से अलग हटकर विकास के अन्य संभावनाओं को तलाश रही है. झारखंड आमतौर पर खनिज संपदाओं के लिए जाना जाता रहा है. खनिज संपदाओं की भरमार होने के बावजूद झारखंड पिछड़े राज्यों के पायदान पर खड़ा रहा है. यहां लगभग 100 वर्ष से खनिज संपदाएं निकाली जाती रही हैं, परंतु इसका लाभ झारखंड के आदिवासी-मूलवासी, गरीब, पिछड़ा अल्पसंख्यक सहित किसी भी वर्ग-समुदाय के लोगों को पूर्ण रूप से नहीं मिल पाया. झारखंड देश का ऐसा राज्य है जहां गांव-गांव घर-घर तक बिजली पहुंचनी चाहिए थी, जो अब तक नहीं हो सका. आज भी राज्य में कई ऐसे गांव है जहां बिजली नहीं पहुंची है. झारखंड के खनिज संपदाओं का लाभ दूसरे प्रदेश के लोगों ने उठाया और वे अमीर होते रहे और हमारे राज्य के लोग गरीबी में पलते रहे. हमारी सरकार अब राज्य में सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास के रास्ते को ढूंढते हुए कई महत्वपूर्ण और कल्याणकारी कार्य कर रही है. इसमें अजीम प्रेमजी द्वारा इटकी में स्थापित हॉस्पिटल और स्कूल शामिल है.
अजीम प्रेमजी फाउंडेशन व्यापार नहीं बल्कि सामाजिक सरोकार के लिए जाना जाता है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि अजीम प्रेमजी फाउंडेशन संस्थान एक ऐसा नाम है जिसे पूरी दुनिया जानती है. अजीम प्रेमजी फाउंडेशन व्यापार के लिए नही बल्कि सामाजिक सरोकार के लिए जाना जाता है. इस संस्थान द्वारा समाज के अंतिम पायदान में खड़े व्यक्ति तक बेहतर शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधा प्रदान किया जा रहा है. इस संस्थान का सामाजिक सरोकार से गहरा नाता रहा है. मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के प्रतिनिधियों के साथ राज्य सरकार ने एक बेहतर समन्वय बनाया. संस्थान अगर चाहती तो यह प्रोजेक्ट कोई और प्रदेश में भी लगा सकती थी, लेकिन संस्थान के सीईओ अनुराग बेहर ने राज्य सरकार की नीति एवं प्रतिबद्धता को दृष्टिगत रखते हुए प्रोजेक्ट के लिए इटकी को ही चुना है. राज्य सरकार ने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की जरूरतों और अन्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सरकारी स्तर पर सभी कार्य एक नियत समय में पूरा करने का काम किया. राज्य सरकार संस्थान की पूरी जानकारी हासिल की और आज यह एक बड़ा प्रोजेक्ट इटकी में स्थापित हो रहा है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अजीम प्रेमजी से की वार्ता इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं अजीम प्रेमजी के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वार्ता हुई. इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अजीम प्रेमजी को पूरे झारखंड वासियों की तरफ से अभिनन्दन और "जोहार" किया. मुख्यमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से उन्हें संबोधित करते हुए कहा कि आपका और आपकी पूरी टीम के सहयोग से आज इटकी में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज तथा स्कूल निर्माण का शुभारम्भ कार्य संपन्न हो हुआ है. आपकी टीम के सामाजिक सरोकार एवं सेवा भाव के प्रति वे अपनी ओर से उनका आभार प्रकट किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार और अजीम प्रेमजी संस्थान ने समन्वय बनाकर इटकी जैसे सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में फाउंडेशन के आगे बढ़ने की परिकल्पना अब साकार होता दिख रहा है. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में इटकी में स्थापित होने वाला यह यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज एवं स्कूल राज्य के विकास में मिल का पत्थर साबित होगा.
कोरोना संक्रमण के समय सरकार ने संवेदनशीलता के साथ किया कार्य मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के समय जब देश और दुनिया के हालात बिगड़ते चले गए, वैसी स्थिति में झारखंड जैसा पिछड़ा राज्य एक बेहतर मैनेजमेंट के तहत बिना कोई अफरा-तफरी के राज्यवासियों एवं प्रवासी मजदूरों को राहत देने का कार्य कर दिखाया है. कोरोना संक्रमण के समय राज्य सरकार और आम जनता ने एक बेहतर उदाहरण देश के समक्ष रखा था. मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण ने पूरी दुनिया को आर्थिक संकट में डालने का काम किया. वर्तमान में कोरोना संक्रमण के वजह से बेरोजगारी भी बढ़ी है. इस वैश्विक महामारी ने देश और दुनिया में कई कल कारखानाओं को बंद होने पर मजबूर किया. न जाने कितने प्रवासी मजदूर बेघर हुए. ऐसी विपरीत स्थिति में भी हमारी सरकार ने राज्य के प्रवासी मजदूरों को सहारा दिया तथा उन्हें विभिन्न माध्यमों से वापस झारखंड लाने का कार्य करते हुए उन्हें रोजगार देने का भी काम किया.
Redmi A4 5G Price in India: शाओमी ने भारत में अपना नया स्मार्टफोन लॉन्च कर दिया है, जो ब्रांड का सबसे सस्ता 5G फोन है. कंपनी ने Redmi A4 5G को लॉन्च किया है, दो दमदार फीचर्स के साथ 9 हजार रुपये से कम के बजट में आता है. इसमें 50MP के मेन लेंस वाला डुअल रियर कैमरा और 5160mAh की बैटरी दी गई है. आइए जानते हैं इसकी डिटेल्स.
बीते कुछ सालों में, Artificial Intelligence ने कई sectors को revolutionize कर दिया है, और education field पर भी इसका बड़ा असर हुआ है. AI-powered technologies के development के साथ, हमारे सीखने और सिखाने के तरीके में बड़ा transformation हो रहा है. India में, जहां education system vast और diverse है, AI, students के education पाने के तरीके को नया रूप देने में बड़ा रोल निभा सकता है. आइए जानते हैं कि AI teachers भारत में education system को कैसे बदल सकते हैं, और इस बदलाव का students, teachers और पूरे देश पर क्या असर हो सकता है.
यदि आपका बच्चा पढ़ना-लिखना पसंद नहीं करता है तो ज्योतिषी प्रवीण मिश्र के उपाय का पालन कर इसे दूर कर सकते हैं. भगवान कृष्ण को मिसरी और तुलसी दल का भोग लगाकर प्रतिदिन बच्चे को खिलाएं. बच्चे के पढ़ाई के स्थान पर हरे रंग की चीजें ज्यादा रखें. बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करें. घी का दीपक जला कर आरती करें. भगवान गणेश से प्रार्थना करें.
जेेएनयू के टीचर्स एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि इससे पहले भी TISS ने मुंबई में इसी तरह की एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें प्रो. पंडित ने हिस्सा लिया था. हालांकि, पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है और यह आरोप है कि सेमिनार में दी गई प्रस्तुतियों का इस्तेमाल कुछ राजनीतिक संगठनों ने प्रवासन के पैटर्न को 'अवैध' साबित करने के लिए किया.