खूबसूरती ही बनी दुश्मन! इस महिला जासूस का असली नाम तक नहीं उगलवा सकी थी पुलिस, फिर...
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The Spy Princess: जेल की कोठरी में जासूस नूर इनायत खान को कई-कई दिन भूखा रखा जाता था. पिटाई की जाती थी. दिन-रात सवाल पूछे जाते थे. चैन से सोने तक नहीं दिया जाता था. लेकिन नूर ने न तो अपने साथियों के बारे में और न ही अपने मिशन के बारे में कुछ बताया. पुलिस नूर का असली नाम तक नहीं पता कर पाई.
खूबसूरत लेकिन खतरनाक, चकमा देने में माहिर, हिटलर की सेना को भी छकाया... हम बात कर रहे हैं भारतीय मूल की जासूस नूर इनायत खान (Noor Inayat Khan) की. नूर जासूसी की दुनिया में एक बड़ा नाम हैं. वो मैसूर के महाराजा टीपू सुल्तान की वंशज थीं. उनका जन्म 1914 में मॉस्को (रूस) में हुआ था. परवरिश फ्रांस में हुई, लेकिन वह रहीं ब्रिटेन में. तो आइए जानते हैं इस मशहूर महिला जासूस की कहानी...
आपको बता दें कि नूर इनायत के पिता हिंदुस्तानी थे. वो सूफी मत को मानते थे. जबकि, उनकी मां अमेरिकन थीं. दूसरे विश्व युद्ध (World War) के समय परिवार पेरिस (फ्रांस) में रहता था. लेकिन जर्मनी (नाजी सेना) के हमले के चलते उन्हें देश छोड़कर ब्रिटेन में शरण लेनी पड़ी. यहां आने के बाद नूर एक वालंटियर के तौर पर ब्रिटिश आर्मी में शामिल हो गईं.
दरअसल, नूर उस देश की मदद करना चाहती थीं, जिसने उन्हें अपनाया था. उनका मकसद फासीवाद के खिलाफ लड़ना भी था. जल्द ही नूर ब्रिटिश आर्मी की एक सीक्रेट एजेंट बन गईं. 1943 में उन्हें एक मिशन पर फ्रांस भेजा गया. उस वक्त हिटलर की अगुवाई वाली जर्मन सेना फ्रांस पर हमले कर रही थी. वायरलेस रेडियो ऑपरेटर के तौर पर नूर का काम था कि वो हिटलर की सेना की नाक के नीचे से गुप्त सूचनाएं ब्रिटेन को भेजें.
काम बेहद चुनौतीपूर्ण था. क्योंकि पकड़े जाने पर आजीवन बंधक बनाए जाने या मौत की सजा दिए जाने का खतरा था. फिर भी नूर ने इस मिशन के लिए हां कहा. उन्हें और उनके कुछ साथियों को रात के अंधेरे में हवाई जहाज के जरिए फ्रांस में लैंड कराया गया. उतरते ही वो साइकल से करीब 15 किलोमीटर का सफर तय कर एक गांव पहुंचीं. वहां से उन्होंने 300 किलोमीटर दूर पेरिस जाने के लिए एक ट्रेन पकड़ी.
नूर पेरिस में नाम बदलकर रहने लगीं. यहां वो जां मेरी रेनिया नाम से जानी जाती थीं. उनकी बोली, भाषा, कपड़े सब फ्रेंच लोगों जैसे थे. किसी का भी अंदाजा लगा पाना मुश्किल था कि वो दूसरे देश से आई हैं. वो लगातार जर्मन सेना के सीक्रेट ब्रिटेन को भेज रही थीं. इस दौरान उनके कई साथी गिरफ्तार कर लिए गए, लेकिन नूर बच गईं.
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