
क्या अमेरिका की टॉप यूनिवर्सिटी खो देगी सरकारी फंडिंग, Harvard पर क्यों लगा यहूदी-विरोधी होने का आरोप?
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डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को धमकी दी है कि अगर उसने अपने कैंपस में एंटी-सेमिटिज्म को नहीं रोका तो उसकी सरकारी फंडिंग बंद हो जाएगी. ये फंडिंग कुछ कम नहीं, बल्कि पूरे 9 अरब डॉलर की है. लेकिन क्या है एंटी-सेमिटिज्म, जिसे न रोकने पर इतनी मशहूर यूनिवर्सिटी पर सरकार नाराज हो जाएगी?
ट्रंप प्रशासन ने पिछले महीने कोलंबिया यूनिवर्सिटी की फंडिंग में कटौती कर दी. अब उसकी नजर हार्वर्ड पर है. सरकार का कहना है कि कैंपस में एंटी-सेमिटिज्म बेहद बढ़ चुका. खासकर 7 अक्टूबर 2023 को हमले के बाद से इसमें तेजी आई. अगर इसपर कंट्रोल न रखा गया तो सरकारी फंडिंग बंद कर दी जाएगी. ट्रंप की ये धमकी हवा-हवाई नहीं क्योंकि वे कोलंबिया समेत कई जगहों पर एक्शन ले रहे हैं. समझिए, क्या है एंटी-सेमिटिज्म, जिसे लेकर वाइट हाउस इतना संवेदनशील है.
कितने पैसे हैं हार्वर्ड के बाद
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की जेब में पहले से ही 53 अरब डॉलर का भारी-भरकम फंड पड़ा हुआ है. ब्लूमबर्ग की मानें तो ये यूएस की सबसे अमीर यूनिवर्सिटी है. लेकिन अब ट्रंप प्रशासन उसके 9 अरब डॉलर का सरकारी ग्रांट रोक सकता है. वैसे तो इस मदद के बगैर भी शायद उसका काम चल जाए, लेकिन सरकारी ग्रांट खोना उसकी इमेज के लिए बड़ा झटका हो सकता है.
वाइट हाउस का आरोप है कि हार्वर्ड ने अपने यहां इजरायल और हमास की जंग के बाद से यहूदी विरोधी कैंपेन चलाने की छूट दी. यही एंटी-सेमिटिज्म है. यानी यहूदियों से नफरत और उनके खिलाफ जबानी या हिंसक प्रोटेस्ट. फिलहाल हार्वर्ड और कोलंबिया समेत 10 यूनिवर्सिटीज पर फेडरल टास्क फोर्स जांच कर रही है कि वो यहूदी विरोधी गतिविधियों में शामिल तो नहीं.
क्या है एंटी-सेमिटिज्म यहूदियों से नफरत को एंटी सेमिटिज्म कहते हैं. इसकी शुरुआत क्रिश्चियन धर्म के आगे बढ़ने के साथ हुई. यहूदी खुद को सबसे पहला कैथोलिक माना करते. वे मानते थे कि उन्हीं के पूर्वजों ने सबसे पहली प्रेयर हिब्रू में पढ़ी थी. हालांकि ईसा मसीह के सूली पर चढ़ने के साथ ही मामला बदलने लगा. यूरोप में ईसाई समुदाय ने आरोप लगाया कि यहूदियों के ही धोखे की वजह से ईसा मसीह को सूली चढ़ना पढ़ा.
इसे उस दौर में 'डीअसाइड' कहा गया, यानी भगवान की हत्या करना. इसके बाद से उनके लिए नफरत बढ़ने ही लगी.

आंदोलन समूह जनरल कोऑर्डिनेशन ऑफ डिस्प्लेस्ड पर्सन्स एंड रिफ्यूजीज ने बताया कि हमले गुरुवार से शुरू हुए और शनिवार तक जारी रहे. इन हमलों में आवासीय क्षेत्रों, बाजारों और स्वास्थ्य केंद्रों को भी निशाना बनाया गया, जिससे सैकड़ों लोग मारे गए या घायल हुए, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं.

इमिग्रेशन जज जेमी ई. कोमन्स ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्र महमूद खलील को डिर्पोटेशन को मंजूरी दे दी है. उन्होंने फैसला सुनाते हुए कहा, 'अमेरिकी सरकार ने स्पष्ट और ठोस सबूत दिए हैं कि देश में खलील की मौजूदगी संभावित रूप से गंभीर विदेश नीति परिणाम पैदा कर सकती है, जो निष्कासन के लिए कानूनी सीमा को पूरा करती है.'