एकनाथ शिंदे के लिए महाराष्ट्र सीएम बने रहना जरूरी नहीं, मजबूरी है | Opinion
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महाराष्ट्र में सत्ताधारी महायुति में शामिल बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी सभी दलों के विधायक अपने अपने नेता को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं. दावेदारी अपनी जगह है, लेकिन अब तक कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है - कुछ मसले ऐसे हैं जो एकनाथ शिंदे के इर्द-गिर्द देखे और समझे जा सकते हैं.
महाराष्ट्र की राजनीतिक तस्वीर काफी हद तक साफ हो चुकी है. कुछ शेड्स अब भी साफ होने से रह गये हैं. और, मौजूदा राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से वे काफी अहम हैं.
ये बात समझने की कोशिश करें, तो मुख्यमंत्री होने के नाते एकनाथ शिंदे की भूमिका अभी बहुत हद तक बाकी है. महायुति की तरफ से जो टास्क तय किये गये होंगे, वो पूरा तो नहीं ही हुआ है - और मुख्यमंत्री पद पर नये सिरे से दावेदारी शुरू हो गई है.
शिवसेना के विधायकों ने एकनाथ शिंदे को, और एनसीपी के विधायकों ने अजित पवार को अपना नेता चुना लिया है, लेकिन बीजेपी में ये काम अभी आगे नहीं बढ़ा है. हां, बीजेपी विधायकों और नेताओं का मानना है कि देवेंद्र फडणवीस को ही अब महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिये - क्योंकि, बीजेपी नेताओं का दावा है, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की शानदार जीत के सूत्रधार देवेंद्र फडणवीस ही हैं. महायुति की तीनों पार्टियों के विधायक चाहते हैं कि उनके नेता को ही महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री बनाया जाये.
एक खास अपडेट ये भी है कि एनसीपी का नेता चुने जाने के बाद अजित पवार ने मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस को खुलेआम समर्थन दे दिया है. मतलब, अजित पवार नहीं चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे फिर से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनें. ये कदम एक तरह से अजित पवार के मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी मजबूत करने का तरीका भी लगता है.
ठाकरे परिवार के साये से पूरी तरह मुक्त नहीं हुई है शिवसेना
महाराष्ट्र में शिवसेना के तेवर तो पहले ही बदल चुके थे. पहले बदलाव का क्रेडिट तो उद्धव ठाकरे को ही जाता है, और बाद में तोड़ फोड़ के साथ एकनाथ शिंदे ने सब कुछ बदल दिया.
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