ईद स्पेशल: ईदी में मिले पैसों से बच्चों में डालें बचत की आदत, आज़मा सकते हैं ये ऑप्शन!
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जुमेरात को ईद के चांद का दीदार हो चुका है. शुक्रवार को देशभर में ईद मनाई जा रही है. वहीं दुनियाभर में ईद पर अपने से छोटों को ईदी देने का चलन है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चों को ईदी में मिले इन्हीं पैसों से उनमें बचत की आदत डाली जा सकती है. क्या हैं बच्चों के लिए सेविंग ऑप्शन, कैसे उन्हें फ्यूचर के लिए पैसों के महत्व को समझाया जाए आज हम यहां बताने जा रहे हैं. पढ़िए आगे...
हम सबने बचपन में मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ कभी ना कभी तो पढ़ी होगी. इस कहानी में हामिद सालभर ईद का इंतज़ार करता है और फिर ईदी पर मिले पैसों से अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदता है. इसे अगर दूसरे पहलू से देखा जाए तो हामिद फिजूल खर्ची की जगह ईदी के पैसों का इस्तेमाल सही जगह करता है और ये एक तरह से दादी के लिए ‘प्यार का निवेश’ ही है. इसलिए ये बात ध्यान रखने लायक है कि बच्चों में बचत की आदत सबसे पहले घर में ही पड़ती है. इसकी शुरुआत आप ईद की ईदी से कर सकते हैं और उसके बाद बच्चों को पॉकेट मनी तक में से बचत करने या बैंक खाते में थोड़े-थोड़े पैसे जमा करने की आदत में बदल सकते हैं. मैं अपना भी एक व्यक्तिगत किस्सा बताता हूं, बचपन में मुझे हर महीने 50 रुपये की पॉकेट मनी मिलती थी. हर महीने मैं इसमें से 10-15 रुपये बचा लेता था और जैसे ही 100 रुपये होते थे तो मेरे नाम से खुले बैंक खाते में जमा कर आता था. बच्चों के नाम से खुला किसी भी तरह का खाता उनमें बचत की भावना को बढ़ाता है. आगे जानें इससे जुड़े कई विकल्प (Photos: Getty Images) मान लीजिए बच्चों को ईदी में एक छोटी रकम मिली है, आप चाहें तो उसमें थोड़ी रकम अपनी तरफ से मिलाकर उनके लिए बीमा खरीद सकते हैं और हर साल ऐसे ही ईद के पैसों और अपने पैसों के मेल-जोल से बीमा की किस्त भर सकते हैं. इससे बच्चों के भीतर बचत की भावना को बल मिलेगा. आप चाहें तो बच्चों के नाम पर म्यूचुअल फंड एकाउंट भी खोल सकते हैं. इस खाते में ईदी के पैसे जमा करके बच्चों के भविष्य को बेहतर तरीके से सुरक्षित किया जा सकता है. बच्चों के लिए कई तरह के बैंक सेविंग एकाउंट ऑप्शन भी उपलब्ध हैं, जानें आगे की स्लाइड में.. देश का सबसे बड़ा बैंक SBI बच्चों के लिए दो विशेष बचत खाते ‘पहला कदम’ और ‘पहली उड़ान’ के ऑप्शन देता है. इसका मकसद ही बच्चों में बचत की आदत डालना है. ‘पहला कदम’ खाता 18 से नीचे किसी भी उम्र के बच्चे के नाम से खोला जा सकता है. वहीं ‘पहली उड़ान’ 10 वर्ष या उससे अधिक आयु के बच्चों के लिए है जो खुद सिग्नेचर करना जानते हों. दोनों ही खातों के लिए बच्चों के जन्म का प्रमाण और माता-पिता या अभिभावक की केवाईसी की आवश्यकता होती है. ‘पहला कदम’ खाते को बच्चे माता-पिता या अभिभावक के साथ मिलकर चला सकते हैं जबकि ‘पहली उड़ान’ खाता सिंगल ऑपरेटेड खाता है. दोनों खातों में कॉमन बात ये है कि एक तो इसमें कोई मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता नहीं है. साथ ही बच्चों को चेकबुक, एटीएम कार्ड और मोबाइल बैंकिंग जैसी सुविधा भी मिलती है. इस तरह से बच्चों को बैंकिंग को समझने में भी मदद मिलेगी.Redmi A4 5G Price in India: शाओमी ने भारत में अपना नया स्मार्टफोन लॉन्च कर दिया है, जो ब्रांड का सबसे सस्ता 5G फोन है. कंपनी ने Redmi A4 5G को लॉन्च किया है, दो दमदार फीचर्स के साथ 9 हजार रुपये से कम के बजट में आता है. इसमें 50MP के मेन लेंस वाला डुअल रियर कैमरा और 5160mAh की बैटरी दी गई है. आइए जानते हैं इसकी डिटेल्स.
बीते कुछ सालों में, Artificial Intelligence ने कई sectors को revolutionize कर दिया है, और education field पर भी इसका बड़ा असर हुआ है. AI-powered technologies के development के साथ, हमारे सीखने और सिखाने के तरीके में बड़ा transformation हो रहा है. India में, जहां education system vast और diverse है, AI, students के education पाने के तरीके को नया रूप देने में बड़ा रोल निभा सकता है. आइए जानते हैं कि AI teachers भारत में education system को कैसे बदल सकते हैं, और इस बदलाव का students, teachers और पूरे देश पर क्या असर हो सकता है.
यदि आपका बच्चा पढ़ना-लिखना पसंद नहीं करता है तो ज्योतिषी प्रवीण मिश्र के उपाय का पालन कर इसे दूर कर सकते हैं. भगवान कृष्ण को मिसरी और तुलसी दल का भोग लगाकर प्रतिदिन बच्चे को खिलाएं. बच्चे के पढ़ाई के स्थान पर हरे रंग की चीजें ज्यादा रखें. बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करें. घी का दीपक जला कर आरती करें. भगवान गणेश से प्रार्थना करें.
जेेएनयू के टीचर्स एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि इससे पहले भी TISS ने मुंबई में इसी तरह की एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें प्रो. पंडित ने हिस्सा लिया था. हालांकि, पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है और यह आरोप है कि सेमिनार में दी गई प्रस्तुतियों का इस्तेमाल कुछ राजनीतिक संगठनों ने प्रवासन के पैटर्न को 'अवैध' साबित करने के लिए किया.