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'इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं?', कोविड में जान गंवाने वाली नर्स को मुआवजा नहीं मिलने पर HC की महाराष्ट्र सरकार को फटकार
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याचिका में महाराष्ट्र सरकार के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें पुणे के रहने वाले सुधाकर पवार के मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया गया था. सुधाकर ससून अस्पताल में नर्स के रूप में काम करने वाली अनीता राठौड़ (पवार) के पति हैं. अनीता की अप्रैल 2020 में कोविड काल के दौरान मृत्यु हो गई थी.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को कोविड काल के दौरान जान गंवाने वाली पुणे की एक नर्स के परिवार को मुआवजा देने से इनकार करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई. जस्टिस जीएस कुलकर्णी और एफपी पूनीवाला की बेंच इस याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
याचिका में महाराष्ट्र सरकार के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें पुणे के रहने वाले सुधाकर पवार के मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया गया था. सुधाकर ससून अस्पताल में नर्स के रूप में काम करने वाली अनीता राठौड़ (पवार) के पति हैं. अनीता की अप्रैल 2020 में कोविड काल के दौरान मृत्यु हो गई थी.
अनीता को मिला 'कोविड शहीद' का दर्जा
बेंच ने कहा कि अनीता के पति ने अपनी याचिका में बताया है कि उनकी पत्नी पूरी तरह स्वस्थ थीं लेकिन कोविड मरीजों के इलाज के दौरान वह बेहद तनाव में थीं. बेंच ने कहा कि अनीता राठौड़ हेल्थ वॉरियर्स की उस टीम का हिस्सा थीं जिसने अस्पताल में कोविड मरीजों की देखभाल करने के लिए अपनी जान को जोखिम में डाला. हॉस्पिटल एंड ट्रेंड नर्सेज एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने उन्हें 'कोविड शहीद' का दर्जा भी दिया.
याचिका में दिया सरकारी रेजोल्यूशन का हवाला
जस्टिस कुलकर्णी ने कहा, 'उन परिस्थितियों में अनीता ने मरीजों की देखभाल करते हुए और ड्यूटी से अधिक समय तक काम करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया.' याचिका में 29 मई, 2020 के राज्य सरकार के उस रेजोल्यूशन (GR) का हवाला दिया गया, जिसमें उन सरकारी कर्मचारियों के परिजनों को 50 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया था, जिनकी महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं के समर्थन में ड्यूटी करते हुए मृत्यु हो गई थी.
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