इंजन बंद करना... कंप्रेसर बेल्ट हटाना! आसान नहीं थी दुनिया पहली एयर कंडिशन (AC) कार की ड्राइविंग, जानें पूरा इतिहास
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आज के समय में बिना एयर कंडिशन (AC) के कारों की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. एक समय ऐसा भी था जब खुली बॉडी वाली कारों का चलन था. लेकिन समय के साथ एयर कंडिशन की जरूरत महसूस हुई और कारों में भी AC का प्रयोग शुरू हुआ. जानिए कैसी थी दुनिया की पहली एयर कंडिशन कार और किसने बनाया था इसे-
आज के समय में बिना एयर कंडिशन (AC) के कारों की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. भयंकर गर्मी में बिना AC के कार में सफर करना बहुत ही मुश्किल है. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब कारों में एयर कंडिशन तो छोड़िए कवर बॉडी भी नहीं हुआ करता था. लेकिन वो दौर दूसरा था, क्योंकि उस वक्त न तो इतनी गर्मी थी और न ही लोगों ने एयर कंडिशन के मखमली हवा का आनंद अनुभव किया था.
19वीं सदी की शुरुआत में जब दुनिया भर में कारों का चलन बढ़ा उस वक्त खुली बॉडी वाली कारों का निर्माण होता है. इतनी भयंकर गर्मी भी नहीं थी कि, लोगों को कार में हर वक्त एयर कंडिशन (AC) की जरूरत पड़े. लेकिन समय के साथ बंद बॉडी वाली कारों ने बाजार में दस्तक दी. अब हवादार केबिन मैटेल शीट से ढक चुका था, जिससे कार के भीतर का वातावरण तेजी से गर्म हो जाता था. जिसके बाद इंजीनियरों को कार में भी एयर कंडिशन का इस्तेमाल करने के जरूरत महसूस होने लगी. इसके बाद जो हुआ वो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया और दुनिया में पहली बार एयर कंडिशन कार को पेश किया गया.
कैरियर कंपनी के संस्थापक विलिस कैरियर दुनिया का पहला एयर कंडिशन:
कारों में AC के इस्तेमाल से पहले ये जानना भी जरूरी है कि एयर कंडिशन की शुरुआत कैसे हुई. 19वीं सदी के प्रारंभ में एयर कंडिशन दुनिया के लिए एक नया नाम था. ऐसी तकनीक पहली बार सामने आई थी, जिसकी मदद से हवा को ठंडा कर किसी कमरे या विशेष क्षेत्र के वातावरण को ठंडा किया जा सकता था. साल 1902 में अमेरिकी इंजिनियर विलिस हैविलैंड कैरियर (Willis Haviland Carrier) ने दुनिया का पहला मॉर्डन एयर कंडिशन का अविष्कार किया. साल 1915 में विलिस ने कैरियर कॉर्पोरेशन के नाम से एक कंपनी की स्थापना की. ये कंपनी हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडिशनिंग (HVAC) सिस्टम का निर्माण करती थी.
उस दौर में भी एयर कंडिशन का इस्तेमाल इतना आसान नहीं था. क्योंकि उस वक्त जो एयर कंडिशन बनाया गया था वो साइज में काफी बड़ा था. इसे किसी इमारत में लगाने के लिए एक कमरे जितनी जगह चाहिए होती थी. लेकिन बड़े दफ्तरों और बिल्डिंगों में एयर कंडिशन का प्रयोग शुरू हो चुका था. अब चूंकि एयर कंडिशन से लोग रूबरू हो चुके थें. ऐसे में लोगों को कारों में भी एयर कंडिशन की जरूरत महसूस हुई. लेकिन किसी कार में एयर कंडिशन को इंस्टॉल करना एक बड़ी चुनौती थी. दुनिया भर में कई कार कंपनियां थीं जो अपने वाहन में AC को इंस्टॉल करने का प्रयास कर रही थीं लेकिन साइज, मैकेनिज़्म और जटिल ऑपरेशन के चलते सभी असफल थें.
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