अफगानिस्तान की जंग, बॉर्डर्स की ओर भागते लोग और रिफ्यूजी क्राइसिस...इन 12 देशों के लिए बना संकट
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तालिबान राज आने के बाद से अफगानिस्तान छोड़कर भागते लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. एक तरफ काबुल एयरपोर्ट से विमान के जरिए लोगों को निकाला जा रहा है तो दूसरी ओर पड़ोसी देशों की सीमाओं पर भी परिवार के साथ अफगानी लोग बड़ी संख्या में शरण लेने पहुंच रहे हैं. अमेरिका, कतर, ब्रिटेन, जर्मनी समेत कई देशों में इन शरणार्थियों को ले जाकर रखा जा रहा है.
तालिबान के हाथ में जैसे ही 15 अगस्त 2021 को काबुल का कब्जा आया पूरी दुनिया में हंगामा सा मच गया. अशरफ गनी की सरकार के सरेंडर के ऐलान के साथ ही अफगानिस्तान की राजधानी काबुल छोड़कर भागने वालों की लाइनें लग गई. काबुल की सड़कों पर तालिबानी बंदूकधारियों के कब्जे से पहले ही हजारों गाड़ियां पड़ोसी देशों की सीमाओं की ओर भागने लगीं. काबुल एयरपोर्ट से विमान पकड़कर परिवार के साथ बाहर निकल जाने की मारामारी की तस्वीरों ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया.मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एहतियाती उपायों की समीक्षा के लिए सचिवालय में हाईलेवल बैठक बुलाई. इस दौरान भारी बारिश की संभावना वाले क्षेत्रों में NDRF और SDRF की टीमों को तैनात करने का निर्देश दिया. कुल 17 टीमों को तैनात किया गया है, इसमें चेन्नई, तिरुवरुर, मयिलादुथुराई, नागपट्टिनम और कुड्डालोर और तंजावुर जिले शामिल हैं.
हिंदू संगठन 'बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोते' एक बयान में कहा कि वकील सैफुल इस्लाम की हत्या में कोई सनातनी शामिल नहीं है. एक समूह सुनियोजित हत्या को अंजाम देकर सनातनियों पर दोष मढ़ने की कोशिश की जा रही है. हिंदू संगठन ने चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की तत्काल बिना शर्त रिहाई और चिटगांव हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की है.
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