T20 WC: पाकिस्तान के ये 3 फॉर्मूले अपनाए, तो सेमीफाइनल ही नहीं फाइनल में भी भारत की जीत पक्की!
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भारत और इंग्लैेंड की टीम सेमीफाइनल में आमने-सामने हैं. दोनों टीमों में जो भी विजेता होगा, वही फाइनल में पाकिस्तान से भिड़ेगा. पाकिस्तान ने टूर्नामेंट के आखिर में एकदम से बदलाव किया है और सुपरहिट साबित हो रही है. भारत भी उसी के फॉर्मूले से सेमीफाइनल और फाइनल में जीत हासिल कर सकता है.
इंडिया और इंग्लैण्ड का सेमी-फ़ाइनल मैच गुरुवार को खेला जा रहा है. पाकिस्तान टी-20 वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में जगह बना चुका है. जनता 2007 के टी-20 विश्व कप और 1992 के विश्व कप के समीकरण में उलझी हुई है. सोशल मीडिया पर आलम ये है कि इंडिया के जीतने के कामना जितनी इंडियन फैन्स कर रहे हैं, उतनी ही पाकिस्तानी फैन्स भी. पाकिस्तानी फैन्स का लॉजिक ये है कि वो इंडिया को फ़ाइनल में हराना चाहते हैं. सनद रहे कि बीते टी-20 विश्व कप में पाकिस्तान ने इंडिया को हरा दिया था और ये पहली बार था जब पाकिस्तान किसी भी विश्व कप में इंडियन टीम से जीत पाया था. इधर, इस विश्व कप में पाकिस्तान ने अपने पहले दोनों मैच गंवाये (भारत और फिर ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़) और फिर शानदार किस्मत और बेहतर खेल की बदौलत बड़ी वापसी करते हुए वो टूर्नामेंट में बनी रही और फ़ाइनल तक जा पहुंची. पाकिस्तान का खेल देखने के बाद ऐसा कहा जा सकता है कि भारतीय टीम उनके खेल से कई चीज़ें निकालकर चाहे तो अमल में ला सकता है. ये उसके लिये हितकारी साबित होंगी और भारत को मज़बूती देंगी.
क्लिक करें: बारिश से धुला भारत-इंग्लैंड का सेमीफाइनल, तो पाकिस्तान से फाइनल में कौन भिड़ेगा?1. डेथ ओवर्स में वेरिएशन पाकिस्तान के गेंदबाज़ों ने स्पीड के दम पर अपना नाम बनाया हुआ है. हैरिस रऊफ़, नसीम शाह और शाहीन शाह अफ़रीदी 140+ किलोमीटर प्रति घंटा कि रफ़्तार से गेंद फेंकने वाले गेंदबाज़ हैं. मैच के शुरुआती हिस्से में, नयी गेंद के साथ ये तीनों अपनी ताक़त से काम लेते हैं. लेकिन आख़िरी के ओवरों में ये अपनी स्पीड काटना शुरू करते हैं. शाहीन गेंद पर अपनी कलाई घुमाते हैं और कल उन्होंने 17वें ओवर में केन विलियमसन को यूं ही आउट किया. नसीम शाह स्लोवर गेंदें फेंकने में सबसे आगे चल रहे हैं और ये हमने इंडिया के ख़िलाफ़ हुए मैच में भी देखा था. अपने ऐक्शन में बगैर कोई बदलाव किये वो ऐसे मौके पर धीमी गेंदें फेंक रहे थे जहां बल्लेबाज़ तेज़ी से रन बनाने की फ़िराक में थे. नसीम के पास अच्छी स्लोवर शॉर्ट बॉल भी है. इन धीमी गेंदों को ऑस्ट्रेलिया के बड़े मैदानों की भी मदद मिलती है. यहां हवा में उठी गेंदों के बाउंड्री के भीतर रह जाने के चांसेज़ कहीं ज़्यादा हैं. और इसका अच्छा फ़ायदा उठाया जा सकता है. भारतीय टीम में भुवनेश्वर के पास अच्छी स्लोवर और कटर गेंदें हैं. पाकिस्तान लगातार आख़िरी के ओवरों में स्पीड काटता आ रहा है. भारतीय गेंदबाज़ चाहें तो ये रणनीति अपना सकते हैं.2. जाबड़ फ़ील्डिंग पाकिस्तान के खेल में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ एक बड़ा अंतर नज़र आया. ये था मैदान में उनकी कोशिशें. शादाब ख़ान मैदान में बिजली की माफ़िक दिख रहे थे. न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ पाकिस्तानी फ़ील्डरों ने एक भी मौके नहीं छोड़े और रन रोकने में अपनी पूरी जान लगा दी. ऐसे में बल्लेबाज़ों को बाउंड्री न देना, उन्हें फ्रस्ट्रेट कर देता है और वो कुछ अलग करने की फ़िराक में ऊल-जुलूल खेल खेलने लग जाते हैं. इसका फ़ायदा उठाया जा सकता है. पाकिस्तान ने कल के मैच में 12-15 रन रोके और साथ ही डायरेक्ट हिट्स से सामने वाली टीम को डर में बांधे रखा जिससे उन्होंने रन भी कम चुराए.
क्लिक करें: 'एक बुरा मैच तय नहीं करता...', सेमीफाइनल से पहले रोहित शर्मा का बयान 3. पॉवरप्ले में रन सीधा सा लॉजिक है - बैटिंग के वक़्त पॉवरप्ले में रन निकालने हैं और बॉलिंग के वक़्त रन रोकने हैं. पाकितान ने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ ये दोनों काम किये और उन्होंने पहली पारी के पहले 6 ओवर के बाद किसी भी मौके पर मैच से अपनी पकड़ ढीली नहीं होने दी. भारतीय गेंदबाज़ पॉवरप्ले में ठीक काम कर रहे हैं लेकिन पहले 6 ओवरों में बल्ले से रन नहीं आ रहे हैं. इस टूर्नामेंट के दौरान, भारतीय टीम के बल्लेबाज़ों ने पॉवरप्ले में 31-3 (वर्सेज़ पाकिस्तान), 32-1 (वर्सेज़ नीदरलैंड्स), 33-2 (वर्सेज़ साउथ अफ़्रीका), 37-1 (वर्सेज़ बांग्लादेश) और 46-1 (वर्सेज़ ज़िम्बाब्वे) बनाये हैं. यानी, मात्र ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ हुए मैच में ही टीम सवा 6 के रन-रेट से आगे बढ़ पायी है. वो भी ऐसे मैच में, जहां हम किसी भी तरह से ख़तरे से बाहर आ चुके थे. कुल मिलाकर, बात ये है कि बड़े स्कोर के लिये आख़िरी ओवरों में सिर-फुटौव्वल से कुछ राहत पाने के लिये ये बेहद अहम है कि शुरुआती ऑर्डर के बल्लेबाज़, ख़ासकर ओपनर्स, पहले 6 ओवरों में फ़ील्डिंग की पाबंदियों का फ़ायदा उठाएं और इसके साथ विकेट भी बचाए रहें. ये तीन सूत्र भारत की कामयाबी के सूत्र बन सकते हैं. पाकिस्तान के खेल में ऐसा देखने को मिल रहा है और इसी कि बदौलत वो अब इतनी ख़तरनाक हो गयी है कि उसके फैन्स भारतीय टीम को जीतकर फ़ाइनल में आते हुए देखना चाहते हैं.
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