Pagglait Review: 13 दिन में 13 तरह के इमोशन, काफी कुछ बताती है 'संध्या' की ये कहानी
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पति की मौत के बाद संध्या ना दुखी है ना परेशान. अब या तो वो सदमें में है या पागल हो चुकी है. इसका जवाब ढूंढने के लिए आपको सान्या मल्होत्रा की फिल्म पगलैट देखनी होगी. लेकिन फिल्म देखने से पहले हमारा रिव्यू जरूर पढ़ लीजिए.
पति की मौत पर भला रोना किसे नहीं आता. हमसफर के बिछड़ने का गम पत्नी कैसे सह सकती है. पर पगलैट वो कहानी है जिसमें पति के निधन के बाद पत्नी की आंखों से ना एक कतरा आंसू का निकलता है और ना उसके जाने का गम उनके चेहरे पर कोई शिकन ही ला पाता है. अब या तो वो सदमें में है या पागल हो चुकी है. इन सब का जवाब ढूंढने के लिए आपको सान्या मल्होत्रा की पगलैट देखनी होगी. और हां, सान्या के पति कौन है इसका जवाब ना ही ढूंढे तो बेहतर होगा. कहानी अभी संध्या (सान्या मल्होत्रा) की शादी को पांच ही महीने बीते थे. इन पांच महीनों में वो अपने पति आस्तिक गिरी को ठीक से जान भी नहीं पाई थी कि आस्तिक की मौत हो जाती है. शोकग्रस्त परिवार में घर के रिश्तेदारों का आना शुरू होता है. सभी संवेदना जता रहे हैं लेकिन वहीं संध्या इन सबसे बिना प्रभावित अपने कमरे में फेसबुक कमेंट्स पढ़ रही है. उसे तो यह भी पता है 'RIP' के 235 कमेंट्स आए हैं. उसे इस शोकाकुल माहौल में पेप्सी और मसालेदार चिप्स खाने की तलब होती है. संध्या की सास, मां, बाकी रिश्तेदार सभी को यही लगता है कि संध्या सदमे में है. इन्हीं में एक रिश्तेदार हैं रोशन सेठी (रघुवीर यादव) जो बात-बात में यही कहते सुने जाते हैं 'हम ओपन माइंडेड हैं, अब पुरानी सोच नहीं रखते'. मगर जब संध्या की दोस्त नाजिया जैदी (श्रुति शर्मा) उससे मिलने आती है तब उनका चेहरा देखने लायक होता है.More Related News
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