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New Tax Bill: 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा नया टैक्स बिल, 622 पेज के ड्राफ्ट में क्या-क्या खास?
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लोकसभा में जल्द न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 (New Income Tax Bill 2025) पेश किया जा सकता है और इससे पहले इसकी ड्राफ्ट कॉपी सामने आई है, जो 622 पन्नों का है.
लोकसभा में जल्द न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 (New Income Tax Bill 2025) पेश किया जा सकता है और इससे पहले इसकी ड्राफ्ट कॉपी सामने आई है, जो 600 से ज्यादा पन्नों की है. जैसा कि पहले अनुमान जाहिर किया जा रहा था कि पुराने इनकम टैक्स एक्ट के मुकाबले ये आसान भाषा में होगा और इसमें शामिल कई शब्दों को बदला या हटाया जाएगा. ड्राफ्ट में भी ये नजर आ रहा है. अब फाइनेंशियल ईयर के पूरे 12 महीने को टैक्स ईयर (Tax Year) कहा जाएगा, जबकि एसेसमेंट ईयर शब्द का इस्तेमाल नहीं होगा. इसके अलावा ड्राफ्ट में स्टैंडर्ड डिडक्शन से लेकर कैपिटल गेन टैक्स के बारे में तस्वीर साफ की गई है. ये New Tax Bill 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा.
कैपिटल गेन की दरें यथावत 622 पन्नों और 536 सेक्शन के इस ड्राफ्ट के मुताबिक, एसेसमेंट ईयर का इस्तेमाल खत्म हो गया है और अब इसे टैक्स ईयर के तौर पर परभाषित किया गया है. फाइनांशियल ईयर के पूरे 12 महीने को अब टैक्स ईयर कहा जाएगा. ड्राफ्ट में शेयर बाजार के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की अवधि में कोई बदलाव नहीं किया गया है. सेक्शन 101 (b) के तहत 12 महीने तक की अवधि को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा. इसके अलावा इसकी दरें भी समान रखी गई हैं. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 20 फीसदी पर बरकरार रखा गया है.
इनकम टैक्स एक्ट में घटी पन्नों की संख्या New Income Tax Bill 2025 में एक और बड़ा चेंज देखने को मिला है. कि इसमें पन्नों की संख्या को घटाया गया है. 63 साल पहले जो इनकम टैक्स एक्ट 1961 के मुकाबले काफी कम रह गई हैं. बता दें कि Tax Act 1961 में कुल 880 पन्ने थे, जो कि अब घटकर 622 रह गए हैं. हालांकि, चैप्टर संख्या जस की तस 23 रखी गई है.
CBDT को मिला ये अधिकार न्यू टैक्स बिल में इनकम टैक्स, 1961 के मुकाबले किए गए बदलावों में अगला बड़ा चेंज केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी (CBDT) से जुड़ा हुआ है. बिल ड्राफ्ट के मुताबिक, पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को विभिन्न टैक्स स्कीम्स को शुरू करने के लिए संसद से संपर्क करना होता था, लेकिन न्यू टैक्स एक्ट 2025 के मुताबिक, अब सीबीडीटी को स्वतंत्र रूप से ऐसी योजनाएं शुरू करने का अधिकार दिया गया है. इसका मकसद नौकरशाही संबंधी देरी की समस्या को खत्म करना है.
मतलब साफ है कि न्यू टैक्स एक्ट के मुताबिक, सीबीडीटी अब धारा 533 के अनुसार बार-बार विधायी संशोधन किए बिना भी टैक्स से जुड़े प्रशासनिक नियम तैयार करके उन्हें पेश कर सकता है. इसके साथ ही डिजिटल टैक्स मॉनिटरिंग सिस्टम लागू कर सकता है.
टैक्स रिजीम में कोई चेंज नहीं इसके साथ ही नए टैक्स बिल 2025 में New Tax Regime को लेकर कोई बदलाव नहीं किया गया है और बजट में घोषित की गई दरें ही यथावत रहेंगी. न्यू टैक्स रिजीम में स्लैब बदले गए और 12 लाख तक की कमाई को इनकम टैक्स से बाहर रखा गया है. इसके अलावा न्यू टैक्स रिजीम के तहक स्टैंडर्ड डिडक्शन 75,000 रुपये और ओल्ड टैक्स रिजीम में ये 50,000 रुपये रहेगा.
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