
Nawab of Pataudi Jr: जब 21 साल के 'टाइगर' ने संभाली कमान, इन हालातों में मिली थी भारतीय टीम की कप्तानी
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1962 में आज ही के दिन (23 मार्च) मंसूर अली खान पटौदी ने भारतीय टीम की कमान संभाली थी. महज 21 साल 77 दिन की उम्र में कप्तानी कर उन्होंने सबसे युवा कप्तान होने का गौरव हासिल किया था.
मंसूर अली खान पटौदी का शुमार भारत के बेहतरीन टेस्ट कप्तानों में किया जाता है. 1962 में आज ही के दिन (23 मार्च) उन्होंने भारतीय टीम की कमान संभाली थी. महज 21 साल 77 दिन की उम्र में कप्तानी कर उन्होंने सबसे युवा कप्तान होने का गौरव हासिल किया था. वर्ल्ड क्रिकेट में उनका यह रिकॉर्ड लगभग 42 साल तक कायम रहा. उन्हें 'टाइगर पटौदी' और नवाब पटौदी जूनियर के नाम से भी जाना जाता था.
2004 में जिम्बाब्वे के ततेंदा ताइबू ने महज 20 साल 358 दिन की उम्र में टेस्ट टीम की कमान संभाली थी. फिलहाल अफगानिस्तान के राशिद खान को सबसे युवा टेस्ट कप्तान (20 साल 350 दिन) होने का गौरव हासिल है. मंसूर अली खान पटौदी आज भी भारत के सबसे कम उम्र के कप्तान हैं. उनके बाद सचिन तेंदुलकर का नंबर आता है, जिन्होंने 23 साल169 दिन की उम्र में टीम की कप्तानी की थी.
कॉन्ट्रैक्टर के चोटिल होने पर मिली कप्तानी
1962 में नारी कांट्रैक्टर के नेतृत्व में भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर गई थी. बारबडोस के खिलाफ अभ्यास मैच में तेज गेंजबाज चार्ली ग्रिफिथ की गेंद भारतीय कप्तान नारी कॉन्ट्रैक्टर के सिर में लगी और वे पिच पर ही गिर गए. चोट इतनी गंभीर थी कि कॉन्ट्रैक्टर के नाक और कान से खून निकलने लगा. टीम के मैनेजर गुलाम अहमद ने उपकप्तान पटौदी को सूचित किया कि अगले टेस्ट में वे भारतीय टीम के कप्तान होंगे. इस तरह पटौदी युग की शुरुआत हुई जिसने भारतीय क्रिकेट की नई इबारत लिखी. उस चोट के चलते नारी कॉन्ट्रैक्टर का क्रिकेट करियर भी खत्म हो गया था.
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इंग्लैंड में हुए एक कार हादसे ने टाइगर पटौदी की पूरी जिंदगी बदल दी थी. उस हादसे में कार का शीशा उनकी दाईं आंख में जा घुसा और आंख की रोशनी चली गई थी. एक आंख की रोशनी गंवा चुके पटौदी को डॉक्टरों ने क्रिकेट खेलने से मना कर दिया था, लेकिन पटौदी ने हार नहीं मानी. हादसे के पांच महीने के बाद 1961 में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली में अपना टेस्ट डेब्यू किया था.

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