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Kamada Ekadashi 2024 Date: कामदा एकादशी है आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और 3 दिव्य उपाय
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Kamada Ekadashi 2024: एकादशी माह में दो बार आती है. एक शुक्ल एकादशी और दूसरी कृष्ण एकादशी. एकादशी व्रत के मुख्य देवता भगवान विष्णु, कृष्ण या उनके अवतार होते हैं. एकादशी के दिन इन्हीं की पूजा होती है. चैत्र मास में एकादशी उपवास का विशेष महत्व है.
Kamada Ekadashi 2024 Date: हिन्दू धर्मशास्त्रों में शरीर और मन को संतुलित करने के लिए व्रत और उपवास के नियम बनाए गए हैं. तमाम व्रत और उपवासों में सर्वाधिक महत्व एकादशी का है. एकादशी माह में दो बार आती है. एक शुक्ल एकादशी और दूसरी कृष्ण एकादशी. एकादशी व्रत के मुख्य देवता भगवान विष्णु, कृष्ण या उनके अवतार होते हैं. एकादशी के दिन इन्हीं की पूजा होती है. चैत्र मास में एकादशी उपवास का विशेष महत्व है. इससे मन और शरीर दोनों ही संतुलित रहते हैं. खासतौर से गंभीर रोगों से रक्षा होती है. इस बार कामदा एकादशी का पर्व 19 अप्रैल यानी आज है.
कामदा एकादशी शुभ मुहूर्त (Kamada Ekadashi 2024 Shubh Muhurat)
एकादशी तिथि का प्रारंभ 18 अप्रैल यानी कल शाम 5 बजकर 31 मिनट पर हो चुका है और समापन 19 अप्रैल यानी आज रात 8 बजकर 04 मिनट पर होगा. कामदा एकादशी का पारण 20 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 02 मिनट से रात 8 बजकर 35 मिनट तक होगा.
कामदा एकादशी की पूजन विधि? इस दिन प्रातः उठकर स्नान करने के बाद पहले सूर्य को अर्घ्य दें. तत्पश्चात भगवान कृष्ण की आराधना करें. उनको पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. फल भी अर्पित कर सकते हैं. इसके बाद भगवान कृष्ण का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें. इस दिन पूर्ण रूप से जलीय आहार लें या फलाहार लें तो इसके श्रेष्ठ परिणाम मिलेंगे. अगर केवल एक वेला का उपवास रखते हैं तो दूसरी वेला में वैष्णव भोजन ही ग्रहण करें.
फिर अगले दिन प्रातः एक वेला का भोजन या अन्न किसी निर्धन को दान करें. कामदा एकादशी के दिन मन को ईश्वर में लगाएं. क्रोध न करें. असत्य न बोलें. किसी का अपमान न करें.
संतान की कामना के लिए उपाय पति पत्नी संयुक्त रूप से भगवान कृष्ण को पीला फल और पीले फूल अर्पित करें. एकसाथ संतान गोपाल मंत्र का कम से कम 11 माला जाप करें. संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें. फल को पति पत्नी प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.
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हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष का 15वीं तिथि ही माघ पूर्णिमा कहलाती है. इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से खास महत्व है और भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. लोग घरों में भी कथा-हवन-पूजन का आयोजन करते हैं और अगर व्यवस्था हो सकती है तो गंगा तट पर कथा-पूजन का अलग ही महत्व है.