Jammu Kashmir Constituency Wise Election Result 2024: किस सीट पर कौन आगे, कौन पीछे, यहां देखें जम्मू-कश्मीर विधानसभा की हर सीट का अपडेट
AajTak
जम्मू कश्मीर में 370 हटने के बाद पहली बार हुए चुनाव में नई सरकार किसकी बनेगी, कौन मुख्यमंत्री का ताज पहनेगा, इन सारे सवालों से कुछ ही देर में परदा हट जाएगा. आज तक पर आप लगातार कवरेज देख सकते हैं. एक-एक सीट, एक-एक उम्मीदवार की पूरी खबर आपके सामने है.
Jammu & Kashmir Vidhan Sabha Chunav Parinam: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir Assembly Polls 2024) के बाद अब सबकी निगाहें नतीजों पर टिकीहैं. आर्टिकल 370 हटने के बाद यहां पहली बार चुनाव हुए हैं यानी लगभग 10 साल बाद यहां विधानसभा चुनाव हुए हैं. इस बार जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिनका आखिरी चरण 1 अक्टूबर को समाप्त हुआ. 90 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 का है.
अलग-अलग मीडिया और एजेंसियों के एग्जिट पोल्स के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस के गठबंधन को भारी बढ़त मिलने की उम्मीद है. ज्यादातर सर्वे NC-कांग्रेस गठबंधन को 40 से 50 सीटों के बीच जीत का अनुमान लगा रहे हैं. जिससे उनकी सरकार बनने की संभावनाएं काफी मजबूत दिख रही हैं. अब देखना ये होगा कि जम्मू-कश्मीर में किस पार्टी को कितनी सीटों मिलने वाली हैं और कौन सत्ता पर काबिज होगा. इसका ताजा हाल आप नीचे दी गई सूची में देख सकते हैं.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कौन आगे-कौन पीछे, यहां क्लिक कर देखें
NCP के प्रवक्ता महेश चव्हाण ने हाल ही में EVM पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति EVM पर संदेह नहीं कर रहा है, तो वो राजनीति छोड़ देंगे. उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक आशुतोष से चर्चा करते हुए EVM के हैक होने की संभावना को लेकर भी बातें कीं. आशुतोष ने इस संबंध में महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए. EVM की सुरक्षा और पारदर्शिता पर इस चर्चा से राजनीतिक गलियारों में नई हलचल देखने को मिल रही है.
हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू पूजा स्थल होने की याचिका कोर्ट में दायर की थी. याचिका पर बुधवार को अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान वादी विष्णु गुप्ता के वाद पर न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने संज्ञान लेते हुए दरगाह कमेटी ,अल्पसंख्यक मामलात व एएसआई को समन नोटिस जारी करने के निर्देश दिए.
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी , वरना एकनाथ शिंदे यूं ही नहीं छोड़ने वाले थे महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी का मोह. जिस तरह एकनाथ शिंदे ने सीएम पद के लिए अचानक आज सरेंडर किया वह यू्ं ही नहीं है. उसके पीछे उनकी 3 राजनीतिक मजबूरियां तो स्पष्ट दिखाई देती हैं. यह अच्छा है कि समय रहते ही उन्होंने अपना भविष्य देख लिया.
उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) सरकार ने कार्यालय में 45 दिन पूरे कर लिए हैं, मुख्यमंत्री, मंत्री अभी भी अपने अधिकार, विभिन्न विभागों के कामकाज के संचालन के लिए निर्णय लेने की शक्तियों से अनभिज्ञ हैं, शासन की संरचना पर स्पष्टता लाने के लिए, गृह मंत्रालय जल्द ही जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार की शक्तियों को परिभाषित करेगा.