धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में IFS निहारिका सिंह के खिलाफ ED ने दाखिल की चार्जशीट, पति अजीत है मुख्य आरोपी
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इस मामले में ईडी ने निहारिका सिंह से पूछताछ की थी. वह आखिरी बार दिल्ली में विदेश मंत्रालय (एमईए) में तैनात थीं. ईडी के अनुसार, 21 फरवरी 2020 से 26 अक्टूबर 2020 के बीच लोगों को धोखा देने के इरादे से निवेश करने का लालच देकर 110 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और जालसाजी की गई.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को निवेश के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भारतीय विदेश सेवा (IFS) की अधिकारी निहारिका सिंह, उनके पति और उनकी कंपनियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है. लखनऊ की एक विशेष अदालत ने 25 नवंबर को अभियोजन पक्ष की शिकायत पर संज्ञान लिया है.
ED के मुताबिक, आईएफएस अधिकारी निहारिका सिंह, उनके पति अजीत कुमार गुप्ता, एनी बुलियन एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, एनी कमोडिटी ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड और एनी सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) की विभिन्न धाराओं के तहत दाखिल किए गए आरोपपत्र में आरोपी बनाया गया है.
इस मामले में ईडी ने निहारिका सिंह से पूछताछ की थी. वह आखिरी बार दिल्ली में विदेश मंत्रालय (एमईए) में तैनात थीं. ईडी के अनुसार, 21 फरवरी 2020 से 26 अक्टूबर 2020 के बीच लोगों को धोखा देने के इरादे से निवेश करने का लालच देकर 110 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और जालसाजी की गई. जिसके लिए गुप्ता और कई अन्य व्यक्तियों/संस्थाओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने 33 एफआईआर दर्ज की थीं.
उन्हीं 33 मामलों का संज्ञान लेने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू हुई. पुलिस ने कम से कम 12 मामलों में 25 आरोपपत्र भी दाखिल किए हैं. एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुप्ता ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर अपने स्वामित्व वाली कंपनी एनी बुलियन ट्रेडर के माध्यम से दैनिक जमा योजनाओं, मासिक आवर्ती जमा योजनाओं और सावधि योजनाओं जैसी धोखाधड़ी योजनाओं को शुरू करके भोले-भाले निवेशकों से भारी मात्रा में पैसा जमा किया.
निवेश करने वालों से 40 प्रतिशत प्रति वर्ष की अत्यधिक दर पर रिटर्न देने का वादा किया गया, जिसे वे वापस करने में नाकाम रहे. जांच में पाया गया कि बाद में उसने आई विजन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के खाते का इस्तेमाल करके अपने करीबी सहयोगियों के माध्यम से निवेशकों से लिया गया पैसा इकट्ठा करना शुरू कर दिया, जो उक्त सोसाइटी के पदाधिकारी थे.
जांच में पाया गया कि यह पैसा नई रिटर्न-लिंक्ड निवेश योजनाओं के नाम पर निवेशकों से इकट्ठा किया गया. ईडी ने आरोप लगाया कि वो पैसा इन निवेशों को कभी वापस नहीं किया गया और निर्दोष लोगों के साथ 60 करोड़ रुपये की ठगी की गई. ईडी ने कहा कि अजीत गुप्ता द्वारा भोले-भाले निवेशकों को लुभाने के लिए अर्जित अपराध की आय को एनी ग्रुप की विभिन्न कंपनियों के माध्यम से आगे बढ़ाया गया.
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