वक्फ संशोधन बिल पर घमासान, अब बजट सत्र में पेश होने की संभावना
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वक्फ संपत्तियों के सुधार के लिए तैयार बिल पर सियासी घमासान जारी है. JPC की बैठकें विवादों और बहसों में फंसी हैं. अब यह बिल 2025 के बजट सत्र में पेश होने की उम्मीद है.
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और सुधार के लिए तैयार किया गया वक्फ संशोधन बिल अब संसद के 2025 के बजट सत्र में पेश किया जा सकता है. इस बिल को पहले मौजूदा संसद सत्र में लाने की योजना थी, लेकिन जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की बैठकों में लगातार बढ़ते विवादों के चलते इसे टालना पड़ा है.
JPC में क्यों हो रहा है विवाद? वक्फ बिल की समीक्षा के लिए गठित JPC का कामकाज शुरू से ही सुचारू नहीं रहा. यहां हर बैठक में हंगामा और तीखी बहस हो रही है. बीजेपी और विपक्षी दलों के सदस्यों के बीच आए दिन गर्म बहस और आरोप-प्रत्यारोप चलते रहते हैं. स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि एक बैठक के दौरान बोतल फेंकने तक की घटना सामने आई. इन विवादों के कारण JPC के कई महत्वपूर्ण काम भी प्रभावित हुए हैं, जैसे राज्यों का दौरा करना और विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना.
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JPC का कार्यकाल बढ़ाने की योजना बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने JPC का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है. उनके अनुसार, समिति को अपनी रिपोर्ट संसद के बजट सत्र की पहली सप्ताह में सौंपनी चाहिए. JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल इस प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के पास भेजेंगे. विपक्षी नेताओं, खासकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने JPC की कार्यशैली और बिल के प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं.
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प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी ने बढ़ाई बहस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र में एक चुनावी भाषण के दौरान वक्फ एक्ट पर तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि यह कानून कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को ध्यान में रखकर बनाया था. पीएम मोदी ने कहा था, 'यह कानून संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की सोच के खिलाफ है. कांग्रेस ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति के लिए लागू किया था.' प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद विपक्ष और सरकार के बीच बहस और तेज हो गई है.
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