
India Vs England: इंग्लैंड में पहली सीरीज़ जीत की कहानी, जब अंग्रेज़ों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन गए थे दिलीप सरदेसाई!
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सोनी लिव पर हाल ही में एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज़ हुई है, ‘Architects In White’. इसमें इंग्लैंड की धरती पर भारतीय टीम द्वारा रचे गए इतिहास की कहानियों को बताया गया है. इन्हीं में से एक कहानी है, साल 1971 की.
भारतीय टीम का इंग्लैंड दौरा शुरू हो चुका है, कप्तान रोहित शर्मा की अगुवाई में टीम प्रैक्टिस में जुट गई है. अब नज़र 1 जुलाई से होने वाले टेस्ट मैच पर है. ये पिछले साल हुई सीरीज़ का बचा हुआ टेस्ट है, इस सीरीज़ में टीम इंडिया 2-1 से आगे है. टीम इंडिया अब जब इतिहास रचने की दहलीज़ पर है, तब पूर्व के कुछ पन्नों को भी तलाशा जा रहा है. सोनी लिव पर हाल ही में एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज़ हुई है, ‘Architects In White’. इसमें इंग्लैंड की धरती पर भारतीय टीम द्वारा रचे गए इतिहास की कहानियों को बताया गया है. इन्हीं में से एक कहानी है, साल 1971 की. जब भारतीय टीम ने पहली बार इंग्लैंड की धरती पर सीरीज़ जीती थी, कप्तान अजित वाडेकर की अगुवाई में मिली इस जीत के एक हीरो दिलीप सरदेसाई भी थे. 1971 दौरे को लेकर सुनील गावस्कर यहां बताते हैं, “जब हम इंग्लैंड पहुंचे और हवाईजहाज हवा में था, तब पूरा ग्रीन दिख रहा था. एक ओपनिंग बल्लेबाज के तौर पर मैं सोच रहा था कि यहां पूरी ग्रीन पिच पर खेलना होगा, जो आसान नहीं हो पाएगा.’’
टीम इंडिया ने इस दौरे पर कुल 19 मैच खेले थे, जिसमें कई लोकल मैच भी थे. लेकिन तीन टेस्ट मैच खेले गए, जिसे भारत ने 1-0 से अपने नाम किया था. इंग्लैंड की कंडिशन में अग्रेज़ी बॉलर्स को खेलना आसान नहीं था, लेकिन उस वक्त टीम इंडिया के लिए मुंबई बैच से आने वाले दिलीप सरदेसाई ने रास्ता दिखाया.
दिलीप सरदेसाई ने अपने ही अंदाज़ में बल्लेबाजी की, विकेट पर टिके रहे और मौका पड़ने पर अंग्रेज़ों पर आक्रामक भी हुए. टीम इंडिया ने यहां सीरीज़ के तीसरे टेस्ट में जीत हासिल की थी. ओवल में हुए इस टेस्ट मैच में दिलीप सरदेसाई ने 54 रनों की पारी खेली थी, दूसरी इनिंग में भी दिलीप ने 40 रन बनाए थे.
रनों से ज्यादा इस पारी में खेलने का तरीका अहम था, जिसे मुंबई की भाषा में पक्का खड़ूस स्टाइल कहा जाता है. इंग्लैंड के इस ऐतिहासिक दौरे पर दिलीप सरदेसाई की बल्लेबाजी को लेकर उनके बेटे और वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई कहते हैं, ‘मेरे पिता में जो एक क्वालिटी थी वह थी निडरता, मैंने ये उनकी जिंदगी में देखा है और मुझे यकीन है कि क्रिकेट के मैदान पर भी उन्होंने ऐसा किया होगा. उन्होंने मुझे कहा था कि मैं ये साबित करके रहूंगा कि मैं बेस्ट ऑफ बेस्ट का हिस्सा हूं’.
इंग्लैंड के उस माहौल और मौसम में घंटों बल्लेबाजी कर विरोधी बॉलर्स को छका देना सबसे मुश्किल काम होता था. लेकिन दिलीप सरदेसाई, सुनील गावस्कर जैसे खिलाड़ियों ने उस दौरे पर इन चीज़ों को मुमकिन किया था.

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