
Ground Report: दुकानों पर For Sale के बोर्ड, हॉस्टलों में सन्नाटा, नुकसान में कोचिंग संस्थान... खाली हो रहा कोटा!
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अगर बात नीट या जेईई परीक्षा की तैयारी की आती है, तो सबसे पहले दिमाग में राजस्थान के कोटा शहर का नाम आता है. वर्षों से कोटा को अपनी कोचिंग संस्थाओं के लिए विशेष पहचान मिली थी, लेकिन अब इस शहर पर संकट के बादल मंडराते हुए नजर आ रहे हैं. ताजे रिपोर्ट्स के अनुसार, कोटा में छात्रों के एडमिशन में लगभग 60 प्रतिशत तक की गिरावट आई है, जो इस शहर के शिक्षा क्षेत्र के लिए एक गंभीर संकेत है.
देश का कोचिंग हब कहलाने वाला कोटा की कोचिंग अर्थव्यवस्था भारी दबाव में है. कोटा में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं, खासकर इंजीनियरिंग और मेडिकल के लिए पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में गिरावट आई है. यह गिरावट केवल कागजों पर ही नहीं बल्कि इस कभी चहल-पहल वाले शहर में लगभग हर जगह दिखाई दे रही है. सुनसान सड़कों पर सैकड़ों पीजी हॉस्टल की इमारतों में जो ज्यादातर खाली पड़ी हैं. निवेशकों, बिल्डरों और डेवलपर्स के चेहरों पर जो अपने निवेश के मुताबिक रिटर्न नहीं मिलने के कारण लाखों और करोड़ों रुपये के नुकसान की ओर बढ़ रहे हैं.
आज तक ने कोटा के कोरल पार्क इलाके का दौरा किया, जहां 200 से ज्यादा इमारतों पर 'To-Let' और 'For Sale' के बोर्ड लगे हुए हैं. कई निर्माणाधीन इमारतों पर काम सिर्फ़ इसलिए रोक दिया गया है क्योंकि डेवलपर्स को पीजी, हॉस्टल के लिए नई इमारतें बनाने में कोई मतलब नहीं दिखता क्योंकि मौजूदा इमारतों में से कई में कोई खास आबादी नहीं है.
डेटा के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-2024 में, 175351 छात्र कोटा में विभिन्न कोचिंग संस्थानों के माध्यम से NEET और JEE की तैयारी कर रहे थे. चालू वित्तीय वर्ष यानी 2024-2025 में, अब तक यह संख्या 122616 है. कागज़ों पर, संख्या में अनुमानित गिरावट लगभग 30% है. हालांकि, वास्तविकता में, स्थिति स्पष्ट रूप से गंभीर है. कोटा में लगभग 4500 पीजी हॉस्टल हैं. पहले, उनमें से अधिकांश में 85% से 100% तक की ऑक्यूपेंसी होती थी. वर्तमान में यह 40% से 60% तक कम हो गया है.
कोटा में 1500 से अधिक मेस एरिया हैं. छात्रों की संख्या में गिरावट ने उनके व्यवसाय पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला है. पीजी हॉस्टल मालिक, जिनकी मासिक आय पहले 3 लाख थी, वर्तमान में किसी तरह अपना गुजारा कर पा रहे हैं, क्योंकि मासिक आय घटकर मात्र 30000 रह गई है. रेजोनेंस कोचिंग संस्थान की वाइस प्रेसिडेंट कीर्ति सिंह सोंगकारा ने कहा, "संख्या पर कुछ हद तक प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, लेकिन यह एक चक्र है. हम अनुकूल माहौल प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं. हमने रेसो केयर जैसी कई पहल की हैं."
इन कारणों की वजह से खाली होता जा रहा है कोटा
कोटा में आत्महत्याओं की बाढ़ और उनके इर्द-गिर्द चर्चा ने स्पष्ट रूप से कोचिंग उद्योग में गहराई से निवेश करने वाले कई हितधारकों की मदद नहीं की है. 2025 में, कोटा में अब तक 6 छात्रों ने आत्महत्या की है. 2024 में कोटा में 16 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं. 2023 में चौंकाने वाली बात यह है कि कोटा में 27 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं. पिछले 12 सालों में ही राजस्थान के कोटा जिले में 150 से ज्यादा छात्र आत्महत्या कर चुके हैं.

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अगर बात नीट या जेईई परीक्षा की तैयारी की आती है, तो सबसे पहले दिमाग में राजस्थान के कोटा शहर का नाम आता है. वर्षों से कोटा को अपनी कोचिंग संस्थाओं के लिए विशेष पहचान मिली थी, लेकिन अब इस शहर पर संकट के बादल मंडराते हुए नजर आ रहे हैं. ताजे रिपोर्ट्स के अनुसार, कोटा में छात्रों के एडमिशन में लगभग 60 प्रतिशत तक की गिरावट आई है, जो इस शहर के शिक्षा क्षेत्र के लिए एक गंभीर संकेत है.