Gold Price: इस साल सोने की कीमतों में कितनी होगी बढ़ोतरी? सर्वे में आया टारगेट
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गोल्ड में निवेश करें या नहीं क्योंकि मई में जहां स्पॉट गोल्ड 2 हजार 449.89 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था. वहीं फिलहाल ये 2 हजार 330 डॉलर प्रति औंस के भाव पर है.
गोल्ड की कीमतों को लेकर लोगों में हमेशा दिलचस्पी बनी रहती है. निवेशक इसकी कीमतों में आने वाली तेजी और गिरावट को मुनाफे और नुकसान के नजरिए से देखते हैं तो ज्वैलरी के खरीदार कीमतों में कमी का इंतजार करते हैं. हाल ही में चीन के सेंट्रल बैंक ने गोल्ड की खरीदारी घटाई तो सोने की कीमतों पर दबाव देखने को मिला था. फिलहाल चीन के अलावा कुछ और देशों के सेंट्रल बैंक शायद शॉर्ट टर्म में सोने की खरीदारी से परहेज करेंगे. ये बैंक पिछले दो ढाई साल में सोने की खरीदारी को लेकर बेहद आक्रामक रहे हैं. ऐसे में इस सवाल का जवाब हर कोई जाना चाहता है कि आखिर गोल्ड में निवेश करें या नहीं क्योंकि मई में जहां स्पॉट गोल्ड 2 हजार 449.89 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था वहीं फिलहाल ये 2 हजार 330 डॉलर प्रति औंस के भाव पर है.
गोल्ड खरीदने को लेकर सेंट्रल बैंक उत्साहित! ऐसे में इस गिरावट से निवेशकों का चिंतित होना लाजिमी है. लेकिन हाल ही में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल यानी WGC के एक सर्वे के बाद निवेशकों के कई सवालों का जवाब मिल गए हैं. WGC के 2024 Central Bank Gold Reserves यानी CBGR survey में कहा गया है कि 29 फीसदी सेंट्रल बैंक अगले 12 महीने में अपने गोल्ड रिजर्व में बढ़ोतरी करने को लेकर उत्साहित हैं. पिछले साल के सर्वे में दुनिया के 24 फीसदी सेंट्रल बैंक अपने गोल्ड रिजर्व में इजाफा करने को लेकर उत्साहित थे जबकि 2022 में 25 फीसदी, 2021 में 21 परसेंट, 2020 में 20 प्रतिशत और 2019 में 8 फीसदी सेंट्रल बैंक अगले 1 साल में गोल्ड रिजर्व बढ़ाने को लेकर उत्साहित थे. 2019 से किए जा रहे WGC के इस सर्वे में इस साल गोल्ड की खरीदारी को लेकर केंद्रीय बैंकों ने सबसे ज्यादा उत्साह जताया है.
सोने की खरीदारी की वजह बदली! WGC के सर्वे के मुताबिक केंद्रीय बैंक आगे भी सोने की खरीदारी इसलिए जारी रखेंगे क्योंकि इन बैंकों के लिए भू राजनीतिक तनाव और महंगाई, ब्याज दर जैसे मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर्स ज्यादा मायने रखेंगे. पिछले साल के सर्वे में ये बात सामने आई थी कि केंद्रीय बैंक सोने के ऐतिहासिक महत्व के चलते इसकी खरीदारी करते हैं. लेकिन इस साल के सर्वे में ये पांचवें स्थान पर खिसक गई और सोने की महंगाई को मात देने की ताकत सबसे बड़ी वजह बन गई है. खरीदारी की दूसरी बड़ी वजह इस कीमती धातु का संकट के दौर में प्रदर्शन है जबकि तीसरी वजह पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने में सोने की भूमिका और चौथी वजह डिफॉल्ट को लेकर सोने का जोखिम रहित होना है.
81% सेंट्रल बैंक खरीदेंगे गोल्ड! गोल्ड रिजर्व में बढ़ोतरी को लेकर बैंकों की राय का भी वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के इसी सर्वे में जिक्र किया गया है जिसके मुताबिक 81 फीसदी सेंट्रल बैंकों ने माना कि अगले 12 महीने में केंद्रीय बैंकों के कुल गोल्ड रिजर्व में इजाफा हो सकता है जबकि 2023 के सर्वे में 71 फीसदी बैंकों ने इस तरह की उम्मीद जताई थी. वहीं 2022 में 61 प्रतिशत, 2021 में 52 परसेंट, 2020 में 75 फीसदी और 2019 में 54 परसेंट सेंट्रल बैंकों ने अगले 1 साल में गोल्ड रिज़र्व में बढ़ोतरी होने का अनुमान जताया था. अगर सोने की खरीदारी को लेकर बात करें तो वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने 2023 में 1,037 टन सोना खरीदा था जो दूसरी बड़ी खरीदारी थी जबकि 2022 में की गई 1,082 टन की खरीदारी अबतक का रिकॉर्ड है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि 2024 में गोल्ड खरीदार बीते 2 साल के रिकॉर्ड को तोड़ पाते हैं या नहीं.
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