'EVM पर भरोसा नहीं, 2003 से कह रहा हूं...', दिग्विजय सिंह ने फिर उठाए सवाल
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर से ईवीएम मशीन पर सवाल उठाए हैं और कहा कि मैं 2003 से बोलता आ रहा हूं कि मुझे EVM पर भरोसा नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि इंडिया ब्लॉक के सभी दल चुनाव आयोग से मिलने का वक्त मांगा है, लेकिन चुनाव आयोग के पास हमारे लिए वक्त नहीं है.
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कई कांग्रेस नेताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सवाल उठाए थे. अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि वह साल 2003 से कहते आ रहे हैं कि उन्हें ईवीएम पर भरोसा नहीं है. साथ ही उन्होंने मांग की है कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियां दी जाएं, जिन्हें बाद में मतपेटियों में डाला जा सके.
'जिसमें चिप लगी है, वो हो सकता है हैक' कांग्रेस नेता ने ईवीएम के इस्तेमाल पर बोलते हुए कहा- 'मैं अपना वोट किसे देना चाहता हूं, मुझे यह भी नहीं पता कि मेरा वोट कहां गया है. दुनिया में ऐसी कोई मशीन नहीं है, जिसमें चिप लगी हो और जिसे हैक न किया जा सके. क्योंकि चिप किसके आदेश का पालन करेगी. इसमें सॉफ्टवेयर एम्बेडेड है. आप 'ए' टाइप करेंगे तो सॉफ्टवेयर 'ए' कहेगा और केवल 'ए' प्रिंट होगा.'
उन्होंने आगे कहा कि अगर आप ईवीएम पर 'पंजा' (कांग्रेस का चुनाव चिह्न)' दबाते हैं तो सॉफ्टवेयर पर 'कमल' कहने पर क्या प्रिंट होगा? पंजा या कमल? अब बात यहां आती है कि वीवीपैट मशीन ने आपको 7 सेकंड के लिए 'पंजा' दिखाया और हम खुश होकर चले गए, लेकिन 'कमल' (भाजपा का चुनाव चिह्न) छपेगा!.
'मतपत्र से कराए जाएं चुनाव' उन्होंने कहना है कि विपक्ष की मांग थी कि चुनाव मतपत्र से कराए जाएं, जैसा कि सभी विकसित देशों में होता है. गिनती में कुछ समय और लगेगा. ऐसा ही होगा, लेकिन जनता को विश्वास हो जाएगा कि उनका वोट उसी को गया जिसे वे चाहते थे. आज तो पता ही नहीं चलता. अगर नरेंद्र मोदी जी और हमारे चुनाव आयोग ECISVEEP को ईवीएम से इतना प्यार है तो उन्होंने हिंदी में अपने पोस्ट में कहा, वे वीवीपैट पर्ची क्यों नहीं दिखाते, हमें दे दीजिए और हम इसे मतपेटियों में डाल देंगे. सिंह ने पूछा कि इसमें आपत्ति क्या है और उन्होंने कहा कि इंडिया ब्लॉक इस मांग के लिए अगस्त से चुनाव आयोग से मिलने के लिए वक्त मांग रहा है, लेकिन 'चुनाव आयोग के पास समय नहीं है. अब हमारे पास क्या विकल्प है? या तो सुप्रीम कोर्ट जाएं या ईवीएम के खिलाफ सड़कों पर उतरें. राजनीतिक दलों, खासकर इंडिया ब्लॉक को जल्द ही इस पर फैसला करना चाहिए.
प्रशांत भूषण का किया धन्यवाद वकील प्रशांत भूषण के एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि धन्यवाद प्रशांत भूषण. यह वीडियो प्री वीवीपैट का है और इसलिए ECISVEEP कहेगा कि यह मुद्दा सुलझ गया है. अब मतदाता 7 सेकंड के लिए देख सकता है कि उसने किस उम्मीदवार को वोट दिया है, लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि मतदाता के हाथ में मुद्रित वीवीपैट पर्ची नहीं होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसने जो देखा है. वह सही ढंग से मुद्रित हुआ है? प्रिंटर मतदाता के नहीं, बल्कि सॉफ्टवेयर के आदेश का पालन करेगा. क्या हम सॉफ्टवेयर पर भरोसा कर सकते हैं?. सॉफ़्टवेयर किसने लिखा है और इसे सिस्टम में किसने लोड किया है? क्या ECISVEEP ईमानदार नहीं हो सकता और सॉफ़्टवेयर को सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाल सकता?.
वहीं, चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की संतुष्टि के लिए लोकसभा चुनाव के मामले में परिणाम घोषित करने से पहले हर विधानसभा क्षेत्र या प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के पांच जगहों का चयन कर मतदान केंद्रों पर प्रिंट किए गए वेरिफाइड पेपर ऑडिर ट्रेल पर्चियों का सत्यापन किया जाता है.
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