गैंग मेंबर नहीं बना सकता गर्लफ्रेंड, टास्क पूरा करने पर ही ग्रुप में एंट्री... लॉरेंस बिश्नोई ऐसे बना इंटरनेशनल गैंगस्टर
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लॉरेंस बिश्नोई का जन्म 12 फरवरी 1990 को हुआ था. उसका नाम असली नाम है बालकरन बरार उर्फ बल्लू. उसके पिता पंजाब पुलिस में सिपाही के पद पर तैनात थे और यहां रोचक बात ये है कि ना सिर्फ लॉरेंस बिश्नोई के पिता पुलिस में तैनात थे बल्कि आज उसे जिस गैंगस्टर से सबसे ज्यादा कंपेयर किया जाता है यानी दाऊद इब्राहीम के पिता भी पुलिस में ही थे.
12 अक्टूबर दशहरे के दिन मुंबई में एक ऐसा हत्याकांड हुआ, जिसने मुंबई समेत पूरे देश को हिला दिया. वो हत्या हुई थी एनसीपी के नेता बाबा सिद्दीकी की. हत्याकांड के बाद एक नाम फिर से सुर्खियों में आ गया है और वो नाम है कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का. लॉरेंस बिश्नोई की बात करें तो पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसावाला की जब हत्या हुई थी तब वो नाम बेहद सुर्खियों में आया था. लॉरेंस बिश्नोई की इंटेरोगेशन रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें उसकी पूरी कुंडली शामिल है. इस रिपोर्ट में उसके मां-बाप, उसके दादा की जानकारी के साथ-साथ ये भी बताया गया है कि उसने कहां से पढ़ाई की है. इस बीच कब वो क्राइम की दुनिया में कूदा, ये सारी कहानी जांच एजेंसी ने इस रिपोर्ट में बताई है.
दरअसल, लॉरेंस बिश्नोई का जन्म 12 फरवरी 1990 को हुआ था. उसका नाम असली नाम है बालकरन बराड़ उर्फ बल्लू. उसके पिता पंजाब पुलिस में सिपाही के पद पर तैनात थे और यहां रोचक बात ये है कि ना सिर्फ लॉरेंस बिश्नोई के पिता पुलिस में तैनात थे बल्कि आज उसे जिस गैंगस्टर से सबसे ज्यादा कंपेयर किया जाता है यानी दाऊद इब्राहीम के पिता भी पुलिस में ही थे. लॉरेंस बिश्नोई फिलहाल गुजरात की साबरमती जेल में बंद है. इसी जेल में बंद रहते हुए उसका नाम मुंबई के एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या में आया है और लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने बकायदा सोशल मीडिया पर क्लेम भी किया है और हत्याकांड की जिम्मेदारी भी ली है. जैसा कि लॉरेंस बिश्नोई ने बताया है कि 2007 में उसने लॉ की पढ़ाई करने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था, 2008 में पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव में लॉरेंस का दोस्त रॉबिन चुनाव लड़ रहा था. तब रॉबिन के सामने एक और उम्मीदवार खड़ा हुआ, जिसे धमकाने के लिए लॉरेंस ने अपने दोस्त की लाइसेंसी पिस्टल से उस पर फायरिंग की थी. यह पहली बार था जब लॉरेंस बिश्नोई पर 307 का केस दर्ज हुआ था, उसके बाद वो जेल भी गया था.
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2011 में जीता था अध्यक्ष पद का चुनाव
जेल से फिर वो दो चार महीने में ही बाहर आ गया. जाहिर सी बात है कि पहली बार जब लॉरेंस बिश्नोई जेल में गया तो वहां उसकी मुलाकात क्रिमिनल माइंड वाले लोगों से हुई हुई होगी. इधर लॉरेंस जेल से बाहर आया और दूसरी ओर उसका दोस्त रोबिन चुनाव हार गया. इसके बाद 2010 में लॉरेंस ने कॉलेज में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा लेकिन हार गया. इस हार का बदला लेने के लिए लॉरेंस और उसके दोस्तों ने जीते हुए उम्मीदवार के हाथ पैर तोड़ दिए. इसके बाद फिर लॉरेंस को जेल जाना पड़ा और काफी वक्त जेल में गुजारना पड़ा. जमानत से रिहा होने के बाद वो फिर छात्र राजनीति पर ध्यान देने लगा. 2011 में लॉरेंस ने अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया. कॉलेज में पढ़ाई के दौरान लॉरेंस की मुलाकात गोल्डी बराड़ से हुई.
लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ छात्र राजनीति के बहाने पंजाब में सक्रिय थे. उन्होंने पंजाब के छोटे मोटे इलेक्शन लड़ना शुरू कर दिया. उसके बाद 2012 में लॉरेंस बिश्नोई ग्रेजुएट हुआ और छात्र राजनीति में अपना दबा दबदबा बनाने के लिए उसने गैंग बनाया. इसमें संपत नेहरा शामिल हुआ. संपत नेहरा हरियाणा का वो गैंगस्टर है जो सबसे पहले 2018 में सलमान खान को मारने के लिए मुंबई गया था. इससे पहले संपत नेहरा ने 2013 में मुक्तसर के सरकारी कॉलेज में लॉरेंस के उम्मीदवार को चुनाव हराने वाले उम्मीदवार की हत्या करा दी थी. इसके बाद उसने लुधियाना नगर निगम चुनाव में अपने दोस्त के चचेरे भाई के खिलाफ खड़े उम्मीदवार को भी गोली मारकर हत्या करवा दी. गोल्डी बराड़ फिलहाल अमेरिका में मौजूद है और उसने ही सिद्धू मूसेवाले की हत्या करवाई थी. इस हत्या की पूरी प्लानिंग उसने ही की थी. हत्याकांड के बाद गोल्डी बराड़ ने इंटरव्यू में स्वीकारा था कि उसने ही सिद्धू मूसेवाला की हत्या करवाई थी.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
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