![EVM के अंदर क्या होता है? कौन सी कंपनी इसे बनाती है.. कीमत और आपके तमाम सवालों के जवाब!](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202404/662204492712d-evm-194231575-16x9.jpg)
EVM के अंदर क्या होता है? कौन सी कंपनी इसे बनाती है.. कीमत और आपके तमाम सवालों के जवाब!
AajTak
How EVM Machine Is Used: लोकसभा चुनाव 2024 की शुरुआत आज से हो चुकी है. चुनाव में वोटिंग के लिए EVM का इस्तेमाल किया जाता है. इस मशीन से आप अपना वोट डाल पाते हैं और इसी मशीन से वोट्स की काउंटिंग भी होती है. क्या आप जानते हैं इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन काम कैसे करती है. आइए जानते हैं EVM की खास बातें.
देश में आज यानी 19 अप्रैल से आम चुनाव की शुरुआत हो चुकी है. चुनाव में EVM का बहुत ही महत्वपूर्ण रोल होता है. वैसे तो EVM हर बार राजनीति का शिकार होती है. सभी आरोपों के बाद भी EVM देश को नई सरकार देने में मदद करती है. इसका इस्तेमाल दूसरे चुनावों में भी होता है.
EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल लोकसभा और विधानसभा चुनाव में शुरू कैसे हुआ. ईवीएम ने भारत में बैलेट पेपर के इस्तेमाल को रिप्लेस किया है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर कई बार आरोप लगे हैं, लेकिन आज तक कोई इसे सिद्ध नहीं कर पाया है.
इन आरोपों के बाद इलेक्शन कमीशन ने वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रायल यानी VVPAT सिस्टम को इंट्रोड्यूस किया है. हालांकि, ये सिस्टम अभी पूरी तरह से लागू नहीं है. साल 2014 में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था.
साल 1980, एम. बी. हनीफा ने पहली वोटिंग मशीन को बनाया था. इस वक्त इसे इलेक्ट्रॉनिक्ली ऑपरेटेड वोट काउंटिंग मशीन नाम दिया गया था. इसका ओरिजनल डिजाइन आम लोगों को तमिलनाडु के 6 शहरों में हुए सरकारी एग्जीबिशन में दिखाया गया था. EVM का पहली बार इस्तेमाल 1982 में केरल के उत्तर परवूर में हुए उप-चुनाव में हुआ था.
यह भी पढ़ें: EVM से लीक हुए वोट का क्या है सच? श्वेता सिंह के साथ '10तक'
शुरुआती दिनों में चुनाव आयोग को EVM के इस्तेमाल को लेकर बहुत से विरोध का सामना करना पड़ा. साल 1998 में EVM का इस्तेमाल 16 विधानसभा में हुआ था. इसके बाद 1999 में इसका विस्तार हुआ और 46 लोकसभा सीट पर इन्हें इस्तेमाल किया गया. साल 2004 में लोकसभा चुनाव में EVM का इस्तेमाल सभी सीट पर हुआ.
![](/newspic/picid-1269750-20250212003447.jpg)
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष का 15वीं तिथि ही माघ पूर्णिमा कहलाती है. इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से खास महत्व है और भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. लोग घरों में भी कथा-हवन-पूजन का आयोजन करते हैं और अगर व्यवस्था हो सकती है तो गंगा तट पर कथा-पूजन का अलग ही महत्व है.