Corporate Bonds: कॉरपोरेट बॉन्ड के फायदे, रिस्क कम... रिटर्न दमदार, अब सिर्फ 10000 रुपये से करें शुरुआत!
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कॉर्पोरेट बांड, सरकारी बॉन्ड और फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा रिटर्न की पेशकश करता है. वहीं इसमें निवेश करना, शेयर बाजार से कम जोखिम वाला है. कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेशकों को 8 से 30 फीसदी तक का रिटर्न मिल सकता है.
आधुनिक समय में निवेश के कई विकल्प उपलब्ध हैं. खासकर शेयर बाजार (Stock Market) में अब ज्यादातर लोग पैसा लगाने लगे हैं, लेकिन अभी भी फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) और सरकारी योजनाओं में निवेश करने वालों की संख्या ज्यादा है. देश के बैंक और स्मॉल फाइनेंस कंपनियां रेट बढ़ने के साथ ही FD पर ज्यादा ब्याज दे रही हैं. वहीं सरकारी योजनाएं भी लोगों को ठीक-ठाक रिटर्न ऑफर करती हैं, लेकिन इससे अलग एक ऐसा निवेश का भी विकल्प उपलब्ध है, जो आपको एक फिक्स रिटर्न दे सकता है.
यह विकल्प कॉर्पोरेट बॉन्ड (Corporate Bonds) है, जिसे कंपनियों की ओर से जारी किया जाता है. कॉर्पोरेट बांड, सरकारी बॉन्ड और फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा रिटर्न की पेशकश करता है. वहीं इसमें निवेश करना, शेयर बाजार से कम जोखिम वाला है. कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेशकों को 8 से 30 फीसदी तक का रिटर्न मिल सकता है. आइए जानते हैं कॉर्पोरेट बॉन्ड क्या है और कैसे निवेश किया जा सकता है.
क्या है कॉर्पोरेट बॉन्ड? कॉर्पोरेट बॉन्ड (Corporate Bonds) एक तरह का लोन होता है, जिसे कंपनियां फंड जुटाने के लिए पेश करती हैं. इसमें निवेश करने वाले इनवेस्टर्स को पहले से तय रेट से इंटरेस्ट मिलता है. बॉन्ड की मैच्योरिटी के बाद पैसा इनवेस्टर्स को वापस मिल जाता है. कॉर्पोरेट बॉन्ड कई तरह के होते हैं, जिसमें सामान्य बॉन्ड्स, टैक्स-फ्री AAA-रेटिंग वाले पीएसयू बॉन्ड्स और पर्पेचुअल बॉन्ड्स हैं. इसमें ब्याज कितना ज्यादा होगा, ये कंपनियों के रेटिंग पर निर्भर करता है.
कैसे कर सकते हैं कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश? कंपनियां पब्लिक इश्यू के तहत बॉन्ड जारी करती हैं. आप ब्रोकर के जरिए स्टॉक एक्सचेंजों (NSE/BSE) से भी बॉन्ड्स खरीद सकते हैं, लेकिन इसमें लिक्विडिटी, उपलब्धता और प्रभावी रिटर्न की समझ जैसे मसले जुड़े हुए हैं. ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म से भी बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं. शेयरों और गर्वनमेंट बॉन्ड के मुकाबले कॉर्पोरेट बॉन्ड में वॉल्यूम बहुत कम है. इसके अलावा ट्रांजेक्शन का साइज भी बहुत ज्यादा होता है. इसी कारण इस मार्केट में म्यूचुअल फंड्स, बैंक और इंश्योरेंस कंपनियां जैसे बड़े इनवेस्टर्स डील करते हैं. हालांकि अब सेबी ने नियम में बदलाव किया है, जिससे रिटेल इन्वेस्टर्स भी दांव लगा सकते हैं.
अब 10 हजार से भी कर सकते हैं निवेश रिटेल इन्वेस्टर्स अक्सर कॉर्पोरेट बॉन्ड से दूर ही रहते हैं, क्योंकि इसमें निवेश करने का फेस वैल्यू पहले 1 लाख रुपये था, जो अब सेबी ने घटाकर 10 हजार कर दिया है. यह कदम रिटेल निवेशकों के लिए निवेश का एक नया अवसर खोलता है. वहीं सरकारी बॉन्ड पहले से ही 10 हजार रुपये के फेस वैल्यू पर बेचे जाते हैं और सीधे रिटेल निवेशकों को भी पेश किए जाते हैं.
कितना लगता है टैक्स पिछले साल 1 अप्रैल से, डेट म्यूचुअल फंड को अब पहले के इंडेक्सेशन बेनेफिट्स से लाभ नहीं मिलता है, लाभ पर अब निवेशक की स्लैब रेट पर टैक्स लगाया जाता है. हालांकि एक साल के बाद बेचे गए लिस्टेड बॉन्ड्स से होने वाले बेनिफिट्स पर अभी भी 10% टैक्स लगता है. वहीं मैच्योरिटी से पहले इसे बेचते हैं तो ज्यादा टैक्स देना पड़ता है.
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