Anurag Kashyap पर बरसे Vivek Agnihotri, बॉलीवुड के डूबने पर किया कमेंट
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इन दिनों अनुराग कश्यप अपनी फिल्म दोबार का जोर-शोर से प्रमोशन कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर बड़ा कमेंट किया. अनुराग कश्यप ने कहा कि वो चाहते हैं कि इस फिल्म की ऑस्कर में इंडिया की तरफ से एंट्री ना हो. वहीं अब विवेक अग्निहोत्री, अनुराग कश्यप के स्टेटमेंट पर उन पर भड़कते दिखाई दे रहे हैं.
पिछले दिनों वायरल हुए अनुराग कश्यप के इंटरव्यू पर रिएक्ट करते हुए विवेक अग्निहोत्री कहते हैं, सबसे पहले मैं यह क्लीयर करना चाहता हूं कि मैं राजामौली और उनकी फिल्मों का मुरीद रहा हूं. मैंने हमेशा देश के बेहतरीन डायरेक्टर्स में राजामौली जी का नाम लिया है. नॉर्थ में जब राजामौली उतने पॉप्युलर नहीं हुए थे, मैं तबसे उनका बड़ा फैन रहा हूं. मैंने खुद आरआरआर फिल्म लोगों को दिखाई है. मैं तो सबसे बड़ा ब्रांड एंबैस्डर बनूंगा, अगर आरआरआर फिल्म ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होती है. लेकिन मैं ये जानना चाहता हूं कि यहां बैठे जो बॉलीवुड के लोग हैं, उन्होंने क्यों कैंपेन शुरू किया है. उसका क्या कारण है, ये समझ नहीं पा रहा हूं. भई ज्यूरी बैठेगी, जो फिल्म जानी होगी, वो ऑस्कर के लिए जाएगी. इनके पीछे बहुत बड़ा मकसद है.
अनुराग कश्यप ने कहा था कि वो चाहते हैं कि कश्मीर फाइल्स फिल्म की ऑस्कर में इंडिया की तरफ से एंट्री ना हो. वहीं अब विवेक अग्निहोत्री, अनुराग कश्यप के स्टेटमेंट पर उन पर भड़कते दिखाई दे रहे हैं.
क्या है विवेक अग्निहोत्री की मंशा? विवेक उनकी मंशा के बारे में बात करते हुए आगे कहते हैं, इनका मकसद भारत के हित को आहत करना है. ये बहुत बड़ी समस्या है. ये जेनोसाइड डिनायल करने वाले लोग हैं. अनुराग कश्यप ने तो खुलेआम कहा है कि वो हिंदू फोबिक है. ये लीडरशीप लेकर कैंपेन चलाना चाहते हैं.
विवेक ऑस्कर के नॉमिनेश पर कहते हैं, ये फैसला, तो ज्यूरी के हाथों होना चाहिए न कि कौन सी फिल्म को ऑस्कर भेजनी है या क्या होना है. आप क्यों कैंपेनिंग कर रहे हैं. आपने वहां आरआरआर का जिक्र किया है, तो अच्छी बात है लेकिन कश्मीर फाइल्स के बारे में जो बातें कहीं, वो कैसे बर्दाश्त की जाए. मैं पर्सनली चाहता हूं कि कश्मीर फाइल्स पूरे विश्व में दिखाई जाए. कश्मीर का मुद्दा सिर्फ इसलिए नहीं सुलझ रहा है कि लोगों को यह विश्वास हो गया है कि वहां राइट्स के दौरान मुस्लिम विक्टिम रहे हैं और हिंदूओं ने उन्हें सताया है. भारत के बाहर लोगों को ये बात पता भी नहीं है कि वहां हिंदू रहते थे. जब लोग यह फिल्म देखेंगे, तो समझेंगे कि यह मामला उलझा हुआ है और हिंदुओं के साथ जेनोसाइड हुआ है. फिल्म देखने के बाद कश्मीर के प्रति उनका नजरिया बदलेगा. जिससे हमारी यूनिटी और इंटीग्रिटी को फायदा होगा. मेरा कोई कमर्शल फायदा नहीं है. मैं पिछले सात महीने से पूरे विश्व में ट्रैवल कर फिल्में दिखा रहा हूं.
विवेक आगे कहते हैं, मुझे तो पता भी नहीं था ऑस्कर को लेकर, क्योंकि अभी तक वहां से कोई ऑफिसियल एंट्री को लेकर कुछ आया नहीं है. मुझे तो आइडिया ही नहीं था. यह तो उनकी वजह से ही ध्यान गया है. हालांकि इसमें मैं कुछ कर नहीं सकता हूं, जो ज्यूरी होगी वो ही निर्णय लेगी. हां, अगर कोई कैंपेन चलाएगा, तो मैं जवाब देता रहूंगा.
फ्लॉप फिल्मों पर क्या बोले विवेक? बॉलीवुड के फ्लॉप फिल्मों से बनते हालात पर कमेंट करते हुए विवेक कहते हैं, देखिए ये कैंसर को पनपने में बहुत साल लगते हैं. जो अक्लमंद को पता चलता है, तो इसकी बीमारी पर काम करना शुरू कर देता है. यहां सबको पता था कि आगे यही हश्र होना था, लेकिन कभी यहां के लोगों ने परवाह की ही नहीं. अब बात इतनी आगे बढ़ गई है कि हाथ ने निकलने लगी है. कुछ लोगों के कारण यहां सबका नुकसान होता जा रहा है. सबसे बड़ा कारण इन कुछ लोगों का एरोगेंस होना है, दूसरा कारण रिएलिटी से परे की दुनिया में रहना, इन्हें तो पता ही नहीं है कि पिछले दो तीन साल में भारत बदल चुका है. आप ही बताएं कुछ समय पहले फीमेल फीटेसाइड पर फिल्म आई थी, यहां किसी बड़े स्टार को लिया, मुद्दे को ध्यान में न रखकर आप स्टार की प्रमोशन पर फोकस करने लगते हो, तो जाहिर है लोग आपकी फिल्म नहीं देखेंगे. एक और कारण यह भी है कि ये लोग जब भी दर्शकों व फैंस के साथ कोई दिक्कतें आती हैं, तो कभी स्टैंड नहीं लेते हैं. कहानियां जो बन रही है, वो हमारे देश की आत्मा से जुड़ती नहीं है. मुझे बहुत बुरा लगता है कि इंडस्ट्री का यह हश्र होता जा रहा है. लेकिन गलती भी तो इन्हीं की है. ऐसा नहीं था कि बॉलीवुड में अगल आइडियलॉजी वालों ने साथ काम नहीं किया है. पहले तो जेपी दत्ता और जावेद अख्तर जिनके वैचारिक भेद कितने अलग थे लेकिन बॉर्डर में उन्होंने मिलकर गाना लिखा है न. यहां तो हमेशा ऐसा काम चलता रहा है, कभी कोई मतभेद नहीं हुआ. उल्टा उस वक्त तो जब भी भारत में कोई संकट की घड़ी आई, तो स्टार्स ने पदयात्रा, मोर्चा और कॉन्सर्ट कर एक दूसरे की मदद करते थे. अभी क्या हो गया है कि कुछ निगेटिव गैंग जिनका भारत से कुछ लेना देना नहीं है, जो खुद को ही टैरेंटीन ऑफ बॉलीवुड कहते हैं. इन्होंने 2014 के बाद जो कैंपेन चलाई है, उसके बाद से सबकुछ बदल गया है. अब तो हर चीज पर चुप्पी साधे रहते हैं. जाहिर सी बात है लोग तो नाराज होंगे ही.
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