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22 साल से लापता शख्स का Google Earth पर मिला सुराग, पहुंची पुलिस तो उड़ गए होश
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ये कहानी अचानक लापता हुए एक शख्स की है जिसे पुलिस पूरे 22 सालों तक नहीं ढूंढ पाई. अब उसका सुराग गूगल अर्थ की मदद से मिला. पुलिस जब वहां पहुंची तो उनके होश ही उड़ गए.
अक्सर अचानक लापता हुए लोगों को ढूंढने में परिवार और पुलिस सालों बिता देते हैं और नतीजा कुछ नहीं निकलता. कई बार तो लोग ढूंढकर थकने के बाद उस शख्स को मृत मान लेते हैं लेकिन शव न मिलने पर कई लोग जीवनभर उसके लौटने की आस और इंतजार में रहते हैं.
22 साल पहले लापता हुआ था शख्स
ये कहानी एक लापता शख्स की है जिसे पुलिस पूरे 22 सालों तक नहीं ढूंढ पाई उसका सुराग गूगल अर्थ की मदद से मिला. विलियम मोल्ड्ट के बारे में 7 नवंबर, 1997 को लैंटाना, फ्लोरिडा से लापता होने की सूचना मिली थी, जब वह रात को बाहर गया और कभी वापस नहीं लौटा. उस शाम लगभग 9.30 बजे, 40 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी गर्लफ्रेंड को फोन करके बताया कि वह जल्द ही घर आ जाएगा. लेकिन यह आखिरी बार था जब उन्होंने बात की और वह कभी वापस नहीं आया.
बड़े तालाब में कुछ अजीब दिखा
पुलिस ने तेजी से लापता व्यक्ति की जांच शुरू की लेकिन आखिरकार मामला ठंडा पड़ गया और दो दशकों से अधिक समय तक मोल्ड्ट के परिवार को कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद अगस्त 2019 में - लापता होने के 22 साल बाद - फ्लोरिडा के वेलिंगटन में ग्रैंड आइल्स को Google Earth पर एक बड़े तालाब में कुछ अजीब दिखा. उसने ज़ूम करके देखा कि कार कैसी दिख रही थी, और इसलिए उसने झील के किनारे वाले घर में रहने वाले लोगों से कॉन्टेक्ट किया और उनसे जांच करने के लिए कहा. बैरी फे नाम के घर के मालिक ने ड्रोन की मदद से देखा कि पानी की सतह के नीचे एक सफेद कार छिपी हुई थी.
डूबी कार का दरवाजा खोलते ही उड़े होश
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हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष का 15वीं तिथि ही माघ पूर्णिमा कहलाती है. इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से खास महत्व है और भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. लोग घरों में भी कथा-हवन-पूजन का आयोजन करते हैं और अगर व्यवस्था हो सकती है तो गंगा तट पर कथा-पूजन का अलग ही महत्व है.