'हम युद्ध नहीं, डायलॉग और डिप्लोमेसी के समर्थक', ब्रिक्स से दुनिया को पीएम मोदी का मैसेज
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मंच के विश्व को शांति का संदेश दिया है. पीएम ने कहा कि हम युद्ध नहीं, डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थन करते हैं और जिस तरह हमने मिलकर कोविड जैसी चुनौती को परास्त किया. हमारी बैठक एक ऐसे समय में हो रही है. जब विश्व युद्धों, संघर्षों, आर्थिक अनिश्चितता, क्लाइमेट चेंज, आतंकवाद जैसी अनेक चुनौतियों से घिरा हुआ है. विश्व में नॉर्थ-साउथ और पूर्व-पश्चिम को तोड़ने की बात हो रही है.
रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया को शांति का संदेश दिया है. पीएम ने कहा कि आज की बैठक के शानदार आयोजन के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं. मुझे बहुत खुशी है कि आज हम पहली बार विस्तारित ब्रिक्स फैमिली के रूप में मिल रहे हैं. ब्रिक्स परिवार से जुड़े सभी नए सदस्यों और साथियों का मैं हार्दिक स्वागत करता हूं.
पीएम ने कहा कि पिछले एक वर्ष में रूस की सफल अध्यक्षता के लिए राष्ट्रपति पुतिन का अभिनंदन करता हूं. दोस्तों, हमारी बैठक एक ऐसे समय में हो रही है. जब विश्व युद्धों, संघर्षों, आर्थिक अनिश्चितता, क्लाइमेट चेंज, आतंकवाद जैसी अनेक चुनौतियों से घिरा हुआ है. विश्व में नॉर्थ-साउथ और पूर्व-पश्चिम को तोड़ने की बात हो रही है.
महंगाई की रोकथाम, फ़ूड सिक्योरिटी, एर्जरी सिक्योरिटी, हेल्थ सिक्योरिटी, वाटर सिक्योरिटी, सभी देशों के लिए प्राथमिकता के विषय हैं और टेक्नोलॉजी के युग में, साइबर सिक्यूरिटी, डीप फैक, फेक न्यूज जैसी नई चुनौतियां बन गई हैं. ऐसे में ब्रिक्स को लेकर बहुत अपेक्षाएं हैं.
'विभाजनकारी नहीं, जनहितकारी ग्रुप है ब्रिक्स'
मेरा मानना है कि एक विविध और समावेशी प्लेटफॉर्म के रूप में ब्रिक्स सभी विषयों पर सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है. इस संदर्भ में हमारी approach people centric रहनी चाहिए. हमें विश्व को यह संदेश देना चाहिए कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं, जनहितकारी ग्रुप है.
हम युद्ध नहीं डायलॉग के हैं समर्थक: पीएम मोदी
रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजेश्कियन ने पश्चिम एशिया में शांति की पहल और भारत-ईरान संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा की. चाबहार पोर्ट और INSTC जैसे अहम परियोजनाओं पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, भारत ने क्षेत्रीय बातचीत और कूटनीति की वकालत की.