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ब्रिक्स समिट से इतर पीएम मोदी और शी जिनपिंग करेंगे द्विपक्षीय वार्ता, विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने की पुष्टि
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर द्विपक्षीय वार्ता होगा. विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने मंगलवार शाम को प्रेस ब्रीफिंग में इसकी पुष्टि कर दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे. दोनों नेताओं के बीच पांच साल बाद यह पहली औपचारिक मुलाकात होगी. कजान में मंगलवार शाम एक प्रेस वार्ता में, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहा कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच यह बैठक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर 23 अक्टूबर को होगी. मिस्त्री ने कहा कि द्विपक्षीय बैठक का समय कल ही निर्धारित होगा.
यह घटनाक्रम पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग को लेकर भारत और चीन के बीच एक नई सहमति बनने के बाद सामने आया है. बता दें कि विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने कल एक बयान में कहा था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत और चीन डेमचौक और देपसांग से अपनी सेनाओं को पीछे हटाने और इलाके में फिर से पूर्व की तरह पेट्रोलिंग शुरू करने के लिए सहमत हो गए हैं. उन्होंने कहा था दोनों देशों की सेनाओं ने पेट्रोलिंग शुरू कर दी है और सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया भी आगामी दिनों में शुरू हो जाएगी.
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समझौते पर भारत के साथ मिलकर करेंगे काम: चीन
चीन ने भी मंगलवार को एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत के साथ हुए सैन्य समझौते की पुष्टि की. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'प्रासंगिक मामलों पर एक प्रस्ताव पर पहुंचा गया है और इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए हम नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करेंगे.' भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई 2020 से यह गतिरोध चल रहा है और सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है. हालांकि दोनों पक्ष संघर्ष के कई बिंदुओं से पीछे हट गए हैं.
बता दें कि 15-16 जून, 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए थे. दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबिक चीन के भी 40 से अधिक सैनिकों की मौत हुई थी. हालांकि, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने आज तक अपने सैनिकों की मौत की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है. इस घटना के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव काफी बढ़ गया था. दोनों देशों ने बड़ी संख्या में सैन्य तैनाती एलएसअी पर की थी और पेट्रोलिंग सस्पेंड कर दी गई थी. संघर्ष के दो प्रमुख बिंदु डेमचौक और देपसांग थे.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात ने दोनों नेताओं के बीच गहरी मित्रता को दर्शाया. ट्रंप ने मोदी को 'आई मिस यू' कहकर स्वागत किया, जबकि मोदी ने दोनों देशों के संबंधों को '1+1=111' बताया. दोनों नेताओं ने व्यापार, सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. ट्रंप ने मोदी को 'महान नेता' और 'खास व्यक्ति' बताया. मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा. दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की और शांति की आवश्यकता पर जोर दिया.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात में दोस्ती और व्यापार पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ की, लेकिन व्यापार मुद्दों पर तनाव बरकरार रहा. ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है. मुलाकात में एफ-35 फाइटर जेट्स और तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा हुई.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा की गई. इस चर्चा में अमेरिका ने भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स, स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल्स और जावलिन मिसाइल्स की पेशकश की. विशेषज्ञों का विचार है कि ये हथियार भारत की आत्मनिर्भरता नीति के सटीक अनुरूप नहीं हैं.
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रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने का ब्लू प्रिंट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग तैयार कर लिया है. इससे पहले ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यू्क्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की. ट्रंप चाहते हैं कि नाटो में शामिल होने की जिद्द यूक्रेन छोड़ दे लेकिन जेलेंस्की ने अपने देश की सुरक्षा का हवाला दिया है.
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PM नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसमें ठाकुर हसन राणा के प्रत्यर्पण का विषय भी शामिल था. फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सहयोग पर भी वार्ता हुई, जहाँ अमेरिकी बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की भारी मांग है.