सेंसर बोर्ड के डबल स्टैंडर्ड पर बोलीं कंगना रनौत- OTT पर लगाम जरूरी है, पैसे देकर...
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नेटफ्लिक्स की सीरीज 'IC814: द कंधार हाईजैक' में आतंकियों के नाम बदल दिए लेकिन कोई कट नहीं लगे और एक तरफ उनकी फिल्म को अभी तक रजामंदी नहीं मिली. इसपर कंगना से पूछा गया कि क्या ये सेंसर बोर्ड के 'डबल स्टैंडर्ड' हैं?
बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहती हैं. वो अपनी बेबाकी के कारण कई बार मुसीबत में भी पड़ चुकी हैं. कुछ ऐसे मौके आए हैं जहां उन्हें लोगों ने उनके बयानों पर घेरा है.
कुछ समय पहले कंगना अपनी आने वाली फिल्म 'इमरजेंसी' को लेकर सुर्खियों में थी जहां सेंसर बोर्ड ने उनकी फिल्म को सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया था. असल में ऐसा माना जा रहा था कि उनकी फिल्म में सिख समुदाय को गलत तरीके से पेश किया गया है जिसपर सेंसर बोर्ड को आपत्ति है.
सेंसर बोर्ड के 'डबल स्टैंडर्ड'
न्यूज18 के एक इंटरव्यू में कंगना से सेंसर बोर्ड के 'डबल स्टैंडर्ड' के बारे में पूछा गया. बातचीत में होस्ट ने दावा किया कि नेटफ्लिक्स की सीरीज 'IC814: द कंधार हाईजैक' में आतंकियों के नाम बदल दिए लेकिन कोई कट नहीं लगे और एक तरफ उनकी फिल्म को अब तक हरी झंड़ी नहीं मिली. इसपर उनसे पूछा गया कि क्या ये सेंसर बोर्ड के 'डबल स्टैंडर्ड' हैं तो इसपर कंगना ने अपना बयान दिया.
कंगना ने कहा कि सेंसर बोर्ड एक अनावश्यक बॉडी थी जिसका कोई काम नहीं था लेकिन उनका मानना है कि OTT प्लेटफॉर्मस सेंसर बोर्ड के अंतर्गत आने चाहिए. उन्होंने कहा, 'तकनीकी तौर पर देखें तो हम इस समय एक ऐसी जगह पर हैं जहां सच कहूं सेंसर बोर्ड एक अनावश्यक बॉडी बन चुकी है. मैंने पिछले संसद सत्र में भी इसपर बात उठाई थी.'
कंगना आगे कहती हैं कि जिस तरह का कंटेंट यूट्यूब पर हमारे बच्चों के लिए मौजूद है वो एक चिंता का विषय है. उनका कहना है, 'जिस तरह की चीजें OTT पर दिखाई जाती हैं, जिस तरह का कंटेंट यूट्यूब पर बच्चों के लिए मौजूद है, कभी-कभी डर लगता है कि बच्चा कब क्या देख ले. सिर्फ पैसा देने से, आपके पास किसी भी चैनल का एक्सेस आ जाता है. ये थोड़ा चिंता का विषय है. हम लोग सेंसर के साथ इतना परेशान होते हैं कि आपने खून क्यों दिखाया? वो वहां कट क्यों है? तो मुझे लगता है कि हमें दोबारा सोचना चाहिए. सबसे ज्यादा अगर किसी को सेंसरशिप की जरूरत है तो वो OTT प्लेटफॉर्मस को है. '
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