शूटिंग शुरू होने के 5 दिन बाद बंद हो गई थी 'सत्या', अंडरवर्ल्ड से डरकर भागा प्रोड्यूसर, मनोज बाजपेयी का खुलासा
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मनोज बाजपेयी ने बताया कि गुलशन कुमार की हत्या के बाद फिल्म 'सत्या' के ओरिजिनल प्रोड्यूसर काफी डर गए थे. ऐसे में उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिये थे. ये प्रोजेक्ट बीच में ही लटक गया था. लेकिन डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा हार मानने को तैयार नहीं थे. ऐसे में उन्होंने एक हफ्ते के अंदर दूसरे प्रोड्यूसर ढूंढ निकाला था.
बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर मनोज बाजपेयी का नाम जब भी आता है, उनकी फिल्म 'सत्या' का जिक्र जरूर होता है. 1998 में आई इस फिल्म में मनोज को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अलग पहचान दिलाई थी. यहीं से उनके करियर में उछाल आया. अब एक इंटरव्यू में मनोज ने बताया है कि कैसे 1997 में म्यूजिक प्रोड्यूसर, भजन गायक और बिजनेसमैन गुलशन कुमार की हत्या ने 'सत्या' के शूट पर लगाम लगा दी थी. एक्टर ने कहा कि फिल्म के क्रू के लिए वो एक हफ्ता बेहद मुश्किल भरा था.
मनोज बाजपेयी ने बताया कि गुलशन कुमार की हत्या के बाद फिल्म 'सत्या' के ओरिजिनल प्रोड्यूसर काफी डर गए थे. ऐसे में उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिये थे. ये प्रोजेक्ट बीच में ही लटक गया था. लेकिन डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा हार मानने को तैयार नहीं थे. ऐसे में उन्होंने एक हफ्ते के अंदर दूसरे प्रोड्यूसर ढूंढ निकाला था.
सत्या छोड़कर भागा था प्रोड्यूसर
सुशांत सिन्हा के यूट्यूब चैनल से बात करते हुए मनोज बाजपेयी ने ये भी बताया कि कैसे मुंबई शिफ्ट होने के बाद उन्हें मुश्किल का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा कि फिल्म 'सत्या' के लिए उन्हें डेढ़ लाख रुपये मिले थे. ये उन्हें अच्छी डील लगी थी क्योंकि ये उनके लिए बड़ा मौका था. लेकिन जब उनकी किस्मत मोड़ ले रही थी तभी गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके पीछे अंडरवर्ल्ड का हाथ बताया गया था.
एक्टर ने कहा, 'जब मुझे सत्या मिली थी मैंने किसी को नहीं बताया था. अपने रूममेट को भी नहीं. मैं हमेशा वहम में रहता था कि फिल्म कैंसिल हो जाएगी, जो कि कुछ दिन के लिए हुआ था. गुलशन कुमार का मर्डर हमारे शूटिंग शुरू करने के 5 दिन बाद हो गया था. फिल्म की शूटिंग रोक दी गई थी, क्योंकि प्रोड्यूसर डर गए थे. गुलशन कुमार का मर्डर इंडस्ट्री का बड़ा हादसा था और हम मुंबई माफिया पर फिल्म बना रहे थे. प्रोड्यूसर डर गया था और उसने फिल्म बंद कर दी थी. हमारे करियर जो अभी शुरू होने ही वाले थे, अचानक थम हो गए थे.'
राम गोपाल वर्मा ने नहीं मानी हार
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