शासन में बैठे अधिकारी सरकार के खिलाफ साजिश रच रहे हैं... UPPSC आंदोलन पर बोले BJP MLC देवेंद्र प्रताप सिंह
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देवेंद्र प्रताप सिंह ने नार्मलाइजेशन प्रक्रिया को भ्रष्टाचार की जननी करार देते हुए सरकार से परीक्षा केंद्रों की निगरानी एसटीएफ द्वारा कराने की मांग की. उन्होंने अभ्यर्थियों के संघर्ष को सम्मानित करते हुए कहा कि उनका जीवन तपस्वी होता है और वे पूरी तरह से छात्रों के शांतिपूर्ण आंदोलन का समर्थन करते हैं.
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर प्रतियोगी छात्रों का विरोध प्रदर्शन चौथे दिन भी जारी है. इस बीच सुल्तानपुर के भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने सरकार में बैठे अधिकारियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि शासन में कुछ अधिकारी भाजपा सरकार के खिलाफ साजिश रच रहे हैं, और इस साजिश का परिणाम सरकार के लिए "दुखद" हो सकता है.
एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने बुधवार को सुल्तानपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा, "कुछ अधिकारी भाजपा सरकार के खिलाफ काम कर रहे हैं और उनकी साजिश को सरकार को समझना चाहिए. 17 लाख अभ्यर्थियों का परिवार सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर सकता है. यह सरकार के लिए गंभीर स्थिति हो सकती है."
अभ्यर्थियों के साथ हूं, उनकी मांग जायज है
देवेंद्र प्रताप सिंह ने पीसीएस (ARO) और सहायक समीक्षा अधिकारी (ARO) के अभ्यर्थियों की मांग का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि इन छात्रों की मांग बिल्कुल जायज है कि परीक्षा एक ही दिन और एक शिफ्ट में कराई जाए, जैसा कि पहले भी किया जाता रहा है. उन्होंने आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए और कहा, "आयोग हठधर्मिता पर उतर आया है और तानाशाही की ओर बढ़ रहा है. इससे नुकसान अधिकारियों का नही, बल्कि सरकार का हो रहा है. उन्होंने कहा कि अभ्यर्थी अपनी जायज मांग शांतिपूर्ण तरीके से कर रहे हैं कि प्रतियोगी परीक्षा एक दिन में एक पाली में कराई जाए, जब यही परीक्षा पिछली बार इसी तरीके से कराई गई है तो समस्या किस बात की.
सर्वोच्च न्यायालय का हवाला, अधिकारियों की साजिश पर सवाल
एमएलसी ने अपने बयान में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि एक बार चयन प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद नियमों और शर्तों में बदलाव नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, "जब परीक्षा पिछली बार एक दिन और एक शिफ्ट में हुई थी, तो अब समस्या क्या है?" देवेंद्र प्रताप सिंह ने यह भी कहा कि 17 लाख अभ्यर्थियों के लिए 1758 परीक्षा केंद्र होने चाहिए थे, लेकिन आयोग ने केवल 978 केंद्र बनाए हैं. उनका तर्क था कि अधिक केंद्र होने चाहिए थे, ताकि परीक्षा पारदर्शी और नकल-मुक्त हो सके. उन्होंने कहा, "जब 75 जिलों में इतने सारे हाईटेक स्कूल हैं, तो परीक्षा केंद्रों को घटाने की बजाय उन्हें बढ़ाना चाहिए."
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