
वो द्वीप, जहां छींक भी हो सकती है जानलेवा, क्यों अंडमान की सेंटिनल आबादी को बचाया जा रहा बाहरी दुनिया से?
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अमेरिकी इन्फ्यूएंसर मिखाइलो विक्टरोविच पोल्याकोव को भारत के प्रतिबंधित नॉर्थ सेंटिनल द्वीप पर अवैध रूप से जाने के आरोप में अरेस्ट कर लिया गया. 24 वर्षीय ये शख्स न केवल चुपके से वहां गया, बल्कि वापसी में कोक की बोतल भी छोड़ आया. अब पड़ताल जारी है कि वो द्वीप पर आखिर गया क्यों? सेंटिनल आइलैंड को लेकर इतना हल्ला इसलिए भी है क्योंकि वहां रहने वाले आदिवासी बाहरी दुनिया और उसकी बीमारियों से एकदम अछूते हैं.
अंडमान निकोबार द्वीपसमूह का उत्तरी सेंटिनल द्वीप चर्चा में है. दरअसल 24 वर्षीय एक अमेरिकी नागरिक ने प्रतिबंधित द्वीप में घुसने की कोशिश की. ये द्वीप दुनिया की सबसे आइसोलेटेड जनजातियों में से एक सेंटिनल्स का ठिकाना है. डर है कि बाहरी घुसपैठ की वजह से अगर सर्दी-खांसी जैसा मामूली संक्रमण भी वहां पहुंचा तो जनजाति खत्म हो सकती है. ऐसा दुनिया में कई और जनजातियों के साथ हो चुका, जो घने जंगलों या द्वीपों पर बसी हुई थीं.
क्या और कैसे हुआ मिखाइलो विक्टोरोविच पोल्याकोव पहले अंडमान के पोर्ट ब्लेयर पहुंचे और वहां से रबर की नाव के जरिए द्वीप तक पहुंचे. जाने से पहले उन्होंने समुद्र की तेजी, हवा की गति जैसी जरूरी चीजों की बाकायदा स्टडी भी की थी ताकि सफर में रुकावट न आए. वहां किनारे पहुंचकर उन्होंने लगभग घंटाभर बिताया ताकि जनजाति के कुछ लोग दिख सकें. साथ ही इस यात्रा का वीडियो भी रिकॉर्ड किया और रेत के नमूने लेकर लौट गए.
लौटने से पहले शख्स वहां पर कोक की एक बोतल और नारियल भी छोड़ आया. वापसी में उन्हें स्थानीय मछुआरों ने देख लिया और पुलिस को सूचना दे दी. कथित तौर पर पोल्याकोव पिछले अक्टूबर में भी ऐसी कोशिश कर चुके थे. अब हिरासत में उनसे पूछताछ चल रही है कि आखिर उनका मकसद क्या था.
क्यों हो सकता है खतरनाक
सेंटिनलीज सैकड़ों या शायद हजारों सालों से पूरी दुनिया से कटे हुए लोग हैं. इनका इम्यून सिस्टम मॉडर्न दुनिया के सामान्य वायरस से लड़ने में भी सक्षम नहीं. जैसे सर्दी या चेचक जैसी बीमारियां जो हमें छूकर गुजर जाती हैं, इन तक पहुंच जाएं तो ये बेहद खतरनाक हो सकता है . अगर कोई बाहरी व्यक्ति संक्रमण लेकर द्वीप पर जाए, तो वह बीमारी इन लोगों में फैल सकती है. इनके पास न दवाएं हैं, न जांच की ही सुविधा, ऐसे में पूरी कम्युनिटी खत्म हो जाएगी. यही वजह है कि हमारी सरकार ने पचास के दशक से इस द्वीप पर बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है, ताकि जनजाति की सुरक्षा पक्की हो सके.

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