
यंग जनरेशन की दोहरी जिंदगी-इंटरनेट की काली दुनिया दिखाती है Adolescence, हर पेरेंट के लिए देखना है जरूरी
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वाई-फाई से कनेक्शन होते ही हम इंटरनेट की ऐसी दुनिया में एंट्री करते हैं, जो बाहर से देखने में काफी मनमोहक है, लेकिन अंदर अंतरिक्ष के ब्लैक होल से भी गहरी और काली है. इसी गहरी और काली दुनिया के बारे में बात करती हैं नेटफ्लिक्स की नई लिमिटेड सीरीज 'एडोलेसेंस'. ये एक 13 साल के लड़के की कहानी है.
आज सोशल मीडिया और AI के दौर में सच और झूठ के बीच फर्क बता पाना बेहद मुश्किल है. फेसबुक, यूट्यूब और ऑर्कुट जैसे प्लेटफॉर्म से शुरू हुआ हमारा सोशल मीडिया प्रेम आज हाथ से बाहर निकल गया है. हर पीढ़ी का इंसान सोशल मीडिया पर एंट्री कर चुका है और दोहरी जिंदगी जी रहा है. आप असल दुनिया में एक अलग इंसान हैं और सोशल मीडिया पर अलग. ओल्ड, यंग के साथ-साथ हम बच्चों को भी इस काली दुनिया में अपने साथ घसीट लाए हैं. छोटे बच्चों से लेकर किशोरावस्था यानी टीनएजर्स तक, सोशल मीडिया से ऑबसेस्ड हैं. हर किसी के हाथ में मोबाइल और घर पर लैपटॉप है. वाई-फाई से कनेक्शन होते ही हम इंटरनेट की ऐसी दुनिया में एंट्री करते हैं, जो बाहर से देखने में काफी मनमोहक है, लेकिन अंदर अंतरिक्ष के ब्लैक होल से भी गहरी और काली है.
एडोलेसेंस सीरीज देखना है जरूरी
इसी गहरी और काली दुनिया के बारे में बात करती है नेटफ्लिक्स की नई लिमिटेड सीरीज 'एडोलेसेंस'. दुनियाभर के क्रिटिक्स और दर्शकों को पसंद आ रही ये ब्रिटिश ड्रामा सीरीज एक 13 साल के लड़के जेमी मिलर (ओवेन कूपर) की कहानी है, जिसने अपनी क्लासमेट केटी का मर्डर किया है. जेमी पर शक होने पर पुलिस उसे पकड़कर ले जाती है. इसके बाद जेमी और उसके परिवार की जिंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली है. ये सीरीज आज की जनरेशन के बारे में आपको बहुत कुछ बताती है, जिसे जानने और समझने के बाद आपके सोचने और चीजों को देखने का नजरिया भी बदलने वाला है. आपको यंग लड़कों की उस दुनिया में झांकने का मौका मिलता है, जो नई पीढ़ी को धीरे-धीरे अंदर से खोखला कर रही है.
सीरीज में टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी कल्चर, साइबर बुलिंग और एंड्रू टेट की मिसोजिनी भारी विचारधारा के यंग लड़कों में फैलने पर बात की गई है. बीते वक्त में एंड्रू टेट और उसकी बातें आग की तरह यंग जनरेशन के बीच फैली है. इसमें यूएस और यूके के साथ-साथ भारत के यंग लड़के भी शामिल हैं. टेट के फैंस दुनियाभर के टीनएज लड़के ही हैं, जो जिंदगी में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में हैं और उन्हें टेट की बातों से प्रभावित होने में जरा वक्त नहीं लगता. टेट का कहना है कि वो लड़कों को 'मर्द' बनना सिखा रहा है, जिसे एल्फा मेल कहा जाता है. एक माइक और लाखों फॉलोअर्स के साथ वो यंग बच्चों के दिमागों में अपनी अलग जगह बना चुका है.
ये सीरीज मर्दानगी, बचपन, पेरेंट्स की जिंदगी, उनकी अपने बच्चों को लेकर सोच और परवरिश के साथ-साथ डिजिटल हेट जैसे टॉपिक्स को कवर करती है. सीरीज के एक सीक्वेंस में आप जेमी मिलर को एक फीमेल काउंसलर से बात करते देखेंगे. काउंसलर के मर्दानगी और अपने पिता से जुड़े सवालों पर जेमी का खूब खून खौलता है. वो बताता है कि उसने एक लड़की को न्यूड देखा था. 'क्यों?' 'क्योंकि सबने देखा था.' उसे नहीं पता कि ये बर्ताव कितना गलत है.
टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी से जुड़े कंटेंट को कंज्यूम कर रहे बच्चों को ये बताने वाला कोई नहीं है कि ये गलत है. दिक्कत ये नहीं है कि एक या दो लड़के इस कंटेंट को देख रहे हैं और इससे सीख ले रहे हैं. परेशान करने वाली बात ये है कि दुनियाभर के यंग लड़के ऐसी चीजें देखकर उनसे सीख रहे हैं और उन्हें नॉर्मल बना रहे हैं, जो कि बेहद खतरनाक बात है.

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