![मिडिल ईस्ट में फैल रही जंग की आग, सबसे ज्यादा चरमपंथी गुट यहीं, क्या इसी क्षेत्र से शुरू होगा तीसरा वर्ल्ड वॉर?](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202412/6758327c89a99-middle-east-can-lead-to-third-world-war-why-prediction-102215122-16x9.jpg)
मिडिल ईस्ट में फैल रही जंग की आग, सबसे ज्यादा चरमपंथी गुट यहीं, क्या इसी क्षेत्र से शुरू होगा तीसरा वर्ल्ड वॉर?
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मध्यपूर्व में कई जगहों पर तनाव बढ़ता ही जा रहा है. कहीं दो देशों में फसाद है तो कहीं भीतर ही भीतर लड़ाई चल रही है. हाल में सीरिया में भी तख्तापलट के बाद चरमपंथी समूहों का कब्जा हो गया. इस बीच ये डर गहरा रहा है कि कहीं दुनिया का यही हिस्सा तीसरे वर्ल्ड वॉर की वजह न बन जाए.
मध्य पूर्व में इजरायल और हमास के बीच एक साल से ज्यादा समय से लड़ाई चल रही है. इसके बीच लेबनान और ईरान भी आ गए. कई सारे मिलिटेंट गुट हैं, जो आपस में ही हमलावर हैं. एक दशक से ज्यादा समय से सिविल वॉर से जूझते सीरिया में एक और उठापटक हुई. कुल मिलाकर आग एक घर से होते हुए पूरी बस्ती को जलाने को तैयार है. तो क्या दुनिया का यही हिस्सा तीसरे विश्व युद्ध की वजह बनेगा? पहली दो लड़ाइयों में क्या थी मिडिल ईस्ट की भूमिका?
फिलहाल कहां-कहां चल रहा है संघर्ष पिछले साल अक्टूबर में चरमपंथी गुट हमास ने इजरायल के नागरिकों पर हमला करते हुए हजारों जानें ले लीं, साथ ही सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया. इसके बाद से इजरायल और हमास के बीच लड़ाई जारी है. हमास को कमजोर पड़ता देख पड़ोसी देश भी लड़ाई में कूद पड़े. वे सीधे-सीधे नहीं, बल्कि चरमपंथी समूहों के जरिए आग में घी डालने लगे. इनमें हिजबुल्लाह, हैती जैसे मिलिटेंट संगठन टॉप पर हैं.
सीरिया में पिछले दो हफ्तों में बड़ा भूचाल आया. यहां बशर अल असद सरकार को गिराने के लिए मिलिटेंट समूह एक्टिव हो गए. हाल ही में सरकार गिराने के बाद सीरियाई विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम (एचटीएस) ने कमान संभाल ली है. ये विद्रोही संगठन एक समय पर अल-कायदा से प्रभावित था. फिलहाल तो वो संभलकर बातें कर रहा है लेकिन समझना मुश्किल नहीं कि एक चरमपंथी समूह अगर देश चलाएगा तो आग सीमाएं पार जरूर करेगी.
यमन में सऊदी अरब की अगुआई में गठबंधन और हूथी विद्रोहियों के बीच चल रहे गृहयुद्ध ने देश को हर तरह से कमजोर बनाकर रख दिया है. मानवीय संकट इतना गहरा है कि यहां से लाखों शरणार्थी दूसरे देशों में शरण ले चुके. फिलहाल बाकी देशों की लड़ाई में इसका शोर कुछ दबा हुआ है लेकिन स्थिति अभी भी सुधरी नहीं.
इराक में लंबे समय से उठापटक जारी है. इसकी शुरुआत दो दशक पहले हुई थी, जब अमेरिकी सेना ने इराक पर हमला किया था. उनका टारगेट सद्दाम हुसैन और उसके खतरनाक इरादे थे. सद्दाम को मौत की सजा मिलने के साथ शांति आ जानी थी, लेकिन एक चूक अमेरिका की तरफ से हो चुकी थी. उन्होंने जिस वेपन ऑफ मास डिस्ट्रक्शन को खत्म करने के मंसूबे बनाए थे, वो कहीं मिला ही नहीं. इसके बाद यूएस आर्मी पर भी वहां के लोग ही नाराज हो उठे. अशांति के समय में अक्सर पावर गेम शुरू हो जाता है. इराक में भी कई चरमपंथी गुट बन गए जो सत्ता के लिए आपस में लड़ने लगे. नतीजा ये हुआ कि देश इतने सालों बाद भी सामान्य नहीं हो सका.
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दिल्ली में वक्फ बोर्ड के इमामों ने गुरुवारक को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पहुंचकर अपनी 17 महीने की बकाया सैलरी की मांग की. करीब 250 इमाम इस मुद्दे से परेशान हैं. उनका कहना है कि उन्हें मात्र ₹18,000 मासिक वेतन मिलता है, जो दिल्ली सरकार के मजदूरों से भी कम है. इमामों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे प्रदर्शन करेंगे.
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कारों में यात्रियों की सुरक्षा हेतु एयरबैग का उपयोग होता है, लेकिन नवी मुंबई का एक मामला इसे उल्टा साबित करता है. घटना में एयरबैग के खुलने से छह वर्षीय बच्चे की जान चली गई. दो कारों की टक्कर के बाद एयरबैग ने बच्चे की गर्दन पर झटका दिया, जिससे मौके पर ही उसकी मृत्यु हो गई. यह घटना सुरक्षा के नाम पर एक दुर्घटना में बदल गई.