रेकी, बैंक का नक्शा, सुराख और लॉकर में सेंध... कैश नहीं सिर्फ गोल्ड उड़ाने वाले चोरों के गैंग की पूरी कहानी
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लखनऊ के चिनहट इलाके में मौजूद इंडियन ओवरसीज़ बैंक में हुई इस सबसे बड़ी मनी हाइस्ट ने पुलिस को टेंशन में डाल दिया था. गरज़ ये कि चोरों के एक गैंग ने रातों-रात बैंक की दो-दो दीवारों में छेद कर लॉकर रूम से करोड़ों की ज्वेलरी साफ कर दी थी.
यूपी की राजधानी लखनऊ के बैंक से 42 लॉकर तोड़कर चोरों ने करोड़ों रुपये के जेवर-गहने और नकदी चुरा ली थी. अब पता चला है कि उन चोरों तक पुलिस महज एक 18 सेकंड की कॉल के ज़रिए पहुंची थी. उसी 18 सेंकड के कॉल की वजह से पता चला था कि ये चोर पड़ोसी राज्य बिहार से थे. दरअसल, बैंक करीबी मोबाइल टावर से उस रात जितने भी कॉल रिकॉर्ड किए गए थे, उनमें से सिर्फ एक कॉल बाहर की थी. जिसके ज़रिए इस मनी हाइस्ट का खुलासा हो गया.
बैंक की दीवार में किए थे दो छेद लखनऊ के चिनहट इलाके में मौजूद इंडियन ओवरसीज़ बैंक में हुई इस सबसे बड़ी मनी हाइस्ट ने पुलिस को टेंशन में डाल दिया था. गरज़ ये कि चोरों के एक गैंग ने रातों-रात बैंक की दो-दो दीवारों में छेद कर लॉकर रूम से करोड़ों की ज्वेलरी साफ कर दी थी और इस वारदात के बाद बैंक की सिक्योरिटी से लेकर सूबे के लॉ एंड ऑर्डर तक पर सवाल उठाये जाने लगे थे.
ऐसे पकड़ में आए चोर लेकिन महज़ 18 सेकंड की एक कॉल ने 24 घंटे गुज़रते-गुज़रते ना सिर्फ इस मामले का खुलासा कर दिया, बल्कि वारदात से जुड़े एक आरोपी को जहां पुलिस ने अपनी गोली से ढेर कर दिया. वहीं दो आरोपियों को ज़ख्मी करने के साथ-साथ कुल 5 को गिरफ्तार भी करने में भी कामयाबी मिली. लेकिन आखिर 18 सेकंड की इस कॉल को पुलिस ने कैसे ट्रैक किया और कैसे इस छोटी सी कॉल के सहारे वो गुनहगारों तक पहुंच गई, ये कहानी कुछ कम हैरान करने वाली नहीं है.
सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गईं थी चोरों की तस्वीरें 21 और 22 दिसंबर की दरम्यानी रात को बैंक में सेंधमारी की खबर मिलने पर पुलिस मौका-ए-वारदात पर पहुंच चुकी थी. वैसे तो चोरों ने बैंक में एंटर करने से पहले ही इसके अलार्म और सीसीटीवी कैमरे की तार डिस्कनेक्ट करने की कोशिश की थी, लेकिन इत्तेफाक से चोरों की इस कोशिश के बावजूद एक सीसीटीवी कैमरा एक्टिव रह गया. और उसमें चोरों की तस्वीरें कैद होती रहीं. इसके अलावा बैंक के बाहर सड़क पर भी चोरों की कुछ तस्वीरें पुलिस के हाथ लगीं थीं. जिनसे पुलिस चोरों तक पहुंचने की कोशिश में थी. लेकिन लाख कोशिश करने के बावजूद इनकी पहचान पता करना मुश्किल हो रहा था.
पुलिस ने खंगाले 5 हज़ार नंबर ऐसे में पुलिस ने इलाके में मौजूद तमाम एक्टिव मोबाइल नंबरों का डंप डाटा लेने का फैसला किया. और रात 12 बजे से अगले दिन सुबह 8 बजे तक एक्टिव नंबरों की स्कैनिंग शुरू कर दी. इस कोशिश में पुलिस ने तकीबन 5 हज़ार नंबरों को एग्जामिन किया. सुबह ठीक सात बजे एक नंबर की एक्टिविटी ने पुलिस वालों के कान खड़े कर दिए. असल में जहां पर ये वारदात हुई, वहां के नंबर हाई कोर्ट वाले टावर से कनेक्ट होते हैं.
सुबह 7 बजे की गई थी एक कॉल उस रोज़ रात को यहां बिहार से आए कई नंबर एक्टिव थे, जो मौका-ए-वारदात के करीब पहुंच कर ऑफ हो चुके थे. ऐसे में ये नंबर रडार पर थे. इन्हीं में से एक नंबर ऐसा था, जो सुबह ठीक 7 बजे ऑन हुआ और इस नंबर से लखनऊ से बिहार के मुंगेर जिले के असरगंज में एक कॉल की गई. इत्तेफाक से ये कॉल सिर्फ 18 सेकंड की थी और इसके बाद ये फोन फिर से स्विच्ड ऑफ हो गया. लेकिन बस इसी 18 सेकंड की इस कॉल से पुलिस ने ना सिर्फ इस फोन का लोकेशन ट्रेस कर लिया, बल्कि लखनऊ के ही जलसेतु तिराहे के पास इस मोबाइल के मालिक और गैंग के रिंगलीडर सोबिंद कुमार को दबोच लिया.
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