मासूमों का अपहरण, फिरौती की साजिश... नफरत की इंतेहा से भरी है इन बच्चों के कत्ल की ये कहानी
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इन बच्चों की मौत ने जिस मां की गोद उजाड़ी थी, वो मौका-ए-वारदात से 60 किलोमीटर दूर राजस्थान के भिवाड़ी में कुछ यूं अपनी किस्मत पर रो रही थी. विलाप कर रही थी. मासूमों के अपहरण, फिरौती की साजिश, नफरत की इंतेहा और बदले की ये कहानी किसी को भी झकझोर सकती है.
राजस्थान में एक ही परिवार के तीन बच्चों को अगवा कर लिया जाता है. तीनों बच्चे भाई थे. बच्चों के यूं अचानक गायब हो जाने से घर में हड़कंप मच जाता है. बच्चों की तलाश शुरू होती है. मगर कोई सुराग नहीं मिलता. हारकर परिजन पुलिस के पास जाते हैं. लेकिन पुलिस लापरवाही दिखाते हुए 24 घंटे तक कोई एक्शन नहीं लेती और जब पुलिस हरकत में आती है, तो एक खौफनाक खुलासा होता है. जिसे जानकर हर कोई हैरान रह जाता है. अपहरण, फिरौती की साजिश, नफरत की इंतेहा से लबरेज है ये खूनी दास्तान.
18 अक्टूबर 2022, महरौली, दिल्ली दिल्ली में कुतुब मीनार के नजदीक घने जंगलों के बीच सर्च ऑपरेशन चल रहा था. पुलिसवाले चप्पे-चप्पे की तलाश कर रहे थे. वैसे तो इस सर्च ऑपरेशन का नतीजा इसमें लगे पुलिसवालों को ऑपरेशन के पूरा होने से पहले ही पता था, लेकिन फिर भी करीब घंटे भर चले इस तलाशी अभियान के बाद सामने जो मंजर था, उसने मौके पर मौजूद हर किसी को हिला कर रख दिया.
जंगल में मिली दो मासूम बच्चों की लाश जंगल में झाड़ियों के बीच दो छोटे-छोटे बच्चों की लाश पड़ी थी. 13 साल के अमन और 8 साल के विपिन की लाश. दोनों रिश्ते में भाई थे. इन दोनों ही भाइयों की लाशें मिट्टी और पत्तों के नीचे कुछ इस कदर छुपाई गई थी कि आसानी से किसी की नजर इन पर पड़े, ये मुमकिन नहीं था. लेकिन जब बच्चों को इस हाल में पहुंचाने वाले ही पुलिस के साथ सर्च ऑपरेशन में शामिल हों, तो फिर सच्चाई को तो सामने आना ही था.
फिरौती की साजिश उधर, इन बच्चों की मौत ने जिस मां की गोद उजाड़ी थी, वो मौका-ए-वारदात से 60 किलोमीटर दूर राजस्थान के भिवाड़ी में कुछ यूं अपनी किस्मत पर रो रही थी. विलाप कर रही थी. मासूमों के अपहरण, फिरौती की साजिश, नफरत की इंतेहा और बदले की ये कहानी किसी को भी झकझोर देने के लिए काफी है. लेकिन इस कहानी में जो इकलौती राहत की बात है, वो ये कि कातिलों ने बेशक दो बच्चों का कत्ल कर दिया हो, लेकिन खुशकिस्मती से उनकी दरिंदगी के बावजूद तीसरे बच्चे की जान बच गई.
ऐसे बची 7 साल के शिवा की जान वैसे कातिलों ने तो अपनी तरफ से विपिन और अमन के साथ-साथ उनके छोटे भाई शिवा को भी मार ही डाला था, लेकिन इसे कातिलों की चूक कहें या फिर ऊपरवाले की मर्ज़ी, 7 साल के मासूम शिवा की जान बच गई. दिल्ली पुलिस ने उसे मौका-ए-वारदात से थोड़ी ही दूर अंहिसा स्थल पिकेट के पास शिवा को भटकता हुआ पाया और लापता समझ कर लाजपत नगर के एक चाइल्ड केयर होम में पहुंचा दिया.
भिवाड़ी पुलिस की जानलेवा लापरवाही बच्चों के अपहरण और कत्ल का ये मामला जितना संगीन है, इस मामले में राजस्थान के भिवाड़ी पुलिस की लापरवाही भी उतनी ही बड़ी है. असल में बच्चों के माता-पिता ने बच्चों के गायब होने के बाद ही पुलिस से फरियाद की थी, लेकिन पुलिस ने 15 अक्टूबर को इस सिलसिले में एफआईआर दर्ज करने की जरूरत ही नहीं समझी और तो और मां-बाप एसपी ऑफिस के बाहर रोते-बिलखते रहे, लेकिन पुलिसवालों के कानों में जूं नहीं रेंगी और जब 24 घंटे बाद पुलिस ने एफआईरआर दर्ज की, तब तक शायद देर हो चुकी थी.
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