
मंदी का डर! बड़ी-बड़ी धमकियों के बाद भी ट्रंप 'जैसे को तैसा' टैरिफ लागू क्यों नहीं कर पाए?
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डोनाल्ड ट्रंप ने डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा करके इंटरनेशनल व्यापार जगत में हलचल मचा दी है. जहां पहले उनके व्यापारिक नीतियों में धमकियों के माध्यम से टैरिफ वार्ता का रुख देखने को मिला था, वहीं इस बार टैरिफ में दरियादिली दिखाई गई है. आइए जानते हैं कि ट्रंप ने टैरिफ में इतनी रियायत क्यों दी है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान कर दिया है. ट्रंप के इस कदम से आने वाले दिनों दुनियाभर में व्यापार में उथल-पुथल मच सकती है. ट्रंप पहले टैरिफ को लेकर धमकियां तो खूब दी. लेकिन, टैरिफ के ऐलान के दौरान दरियादिली दिखाई. ट्रंप का टैरिफ पर रुख इतना हल्का क्यों रहा? क्या ऐसे करने के पीछे ग्लोबल ट्रेड वॉर या घरेलू स्तर पर हो रही तीखी प्रतिक्रिया ने ट्रंप को चिंतित कर दिया होगा? आइए जानने की कोशिश करते हैं कि ट्रंप ने टैरिफ पर इतना नरम रुख क्यों दिखाया.
ट्रंप की टैरिफ नीति: क्या कहा और क्या किया?
अप्रैल 2 को लिबरेशन डे पर डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ का ऐलान किया. ट्रंप ने इसे रेसिप्रोकल टैरिफ की जगह डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ का नाम दिया. अपने संबोधन में ट्रंप ने अमेरिका पर दूसरे देशों द्वारा लगाए जा रहे टैरिफ का वर्णन करने के लिए लूट, उत्पात और बलात्कार जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया. हालांकि, ट्रंप की बयानबाजी टैरिफ से मेल नहीं खाती.
चीन पर 34 प्रतिशत का टैरिफ और भारतीय वस्तुओं पर 27 प्रतिशत लगाया गया, लेकिन इसके बावजूद भी ये शुल्क उनकी बयानबाजी जितने तीव्र नहीं लगे. ये टैरिफ 9 अप्रैल से प्रभावी होंगे.
डोनाल्ड ट्रंप एक दिग्गज व्यापारी हैं. रियल स्टेट के व्यवसाय में उनका बड़ा नाम है. व्यवसायिक दृष्टिकोण ने यहां उन्हें प्रभावित किया, लेकिन अर्थव्यवस्था की चिंता ने भी उन्हें रोक दिया. हालांकि, यह पूरी तरह से साफ नहीं करता कि टैरिफ पर डिस्काउंट देने की यह अहम वजह हो.
हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर के सभी देशों पर 10 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. यहां तक की उन देशों पर भी टैरिफ लगाया गया जो अमेरिका पर कोई टैरिफ नहीं लगाता है. आयातित वस्तुओं पर 10 फीसदी बेसिक टैरिफ लगाने से महंगाई बढ़ने की आशंका है. उच्च टैरिफ से अमेरिका के नागरिक प्रभावित होंगे. नागरिक चाहे शॉपिंग करें या घर बनाएं, उनपर टैरिफ का असर पड़ेगा.

स्वेच्छा से देश नहीं छोड़ने वालों पर 998 डॉलर प्रतिदिन (लगभग 85,924 रुपये) का जुर्माना लगाया जाएगा, यदि उन्हें स्वदेश वापसी का अंतिम आदेश मिल चुका है. इसके अलावा, जिन्होंने अधिकारियों को सूचित किया है कि वे देश छोड़ देंगे लेकिन फिर भी नहीं जाते, उन पर 1,000 से 5,000 डॉलर (लगभग 86,096 रुपये से 4.30 लाख रुपये) तक का जुर्माना लगाया जाएगा.

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