भगवान गणेश की प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों की बिक्री पर रोक की याचिका, SC का दखल से इंकार
AajTak
मद्रास हाईकोर्ट द्वारा भगवान गणेश की प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों की बिक्री पर रोक लगाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर कोई आदेश जारी करने से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा आपको कुछ भी बनाना है वह मिट्टी से ही बनाएं. हम हाई कोर्ट के आदेश में कोई बदलाव नही करेंगे.
मद्रास हाईकोर्ट द्वारा भगवान गणेश की प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों की बिक्री पर रोक लगाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इंकार कर दिया है. मद्रास हाईकोर्ट के आदेश में किसी भी बदलाव से मना करते हुए चीफ जस्टिस ने आज सोमवार को आखिरी मामले के तौर पर सुनवाई करते हुए कहा कि सिर्फ मिट्टी की ही मूर्ति बनाने की इजाजत है. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि 2020 में पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइंस जारी की गई है. उसमें कहा गया था कि मूर्तियां पर्यावरण के अनुकूल होनी चाहिए. लेकिन विसर्जन को लेकर भी गाइडलाइन बनाई गई थी.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सेंन्ट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) गाइडलाइंस मे कहा गया है कि पीओपी मूर्तियों को समुद्र या नदी या फिर झील सरोवरों मे नही विसर्जित कर सकते. उसके लिए विशिष्ट रूप से बनाए गए कुंड मे या टैंक मे विसर्जित कर सकते हैं. मद्रास हाईकोर्ट द्वारा भगवान गणेश की प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों की बिक्री पर रोक लगाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर कोई आदेश जारी करने से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा आपको कुछ भी बनाना है वह मिट्टी से ही बनाएं. हम हाई कोर्ट के आदेश में कोई बदलाव नही करेंगे.
NCP के प्रवक्ता महेश चव्हाण ने हाल ही में EVM पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति EVM पर संदेह नहीं कर रहा है, तो वो राजनीति छोड़ देंगे. उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक आशुतोष से चर्चा करते हुए EVM के हैक होने की संभावना को लेकर भी बातें कीं. आशुतोष ने इस संबंध में महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए. EVM की सुरक्षा और पारदर्शिता पर इस चर्चा से राजनीतिक गलियारों में नई हलचल देखने को मिल रही है.
हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू पूजा स्थल होने की याचिका कोर्ट में दायर की थी. याचिका पर बुधवार को अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान वादी विष्णु गुप्ता के वाद पर न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने संज्ञान लेते हुए दरगाह कमेटी ,अल्पसंख्यक मामलात व एएसआई को समन नोटिस जारी करने के निर्देश दिए.
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी , वरना एकनाथ शिंदे यूं ही नहीं छोड़ने वाले थे महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी का मोह. जिस तरह एकनाथ शिंदे ने सीएम पद के लिए अचानक आज सरेंडर किया वह यू्ं ही नहीं है. उसके पीछे उनकी 3 राजनीतिक मजबूरियां तो स्पष्ट दिखाई देती हैं. यह अच्छा है कि समय रहते ही उन्होंने अपना भविष्य देख लिया.
उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) सरकार ने कार्यालय में 45 दिन पूरे कर लिए हैं, मुख्यमंत्री, मंत्री अभी भी अपने अधिकार, विभिन्न विभागों के कामकाज के संचालन के लिए निर्णय लेने की शक्तियों से अनभिज्ञ हैं, शासन की संरचना पर स्पष्टता लाने के लिए, गृह मंत्रालय जल्द ही जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार की शक्तियों को परिभाषित करेगा.