नया इनकम टैक्स बिल अगले हफ्ते आएगा... तो बजट में टैक्स स्लैब बदलने की क्यों पड़ी जरूरत
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देश में फिलहाल 1961 का इनकम टैक्स कानून लागू है. साल 2020 के बजट में सरकार ने इसी कानून के तहत नई टैक्स रिजीम लागू की थी. लेकिन जुलाई 2024 में पेश किए गए बजट में सरकार ने साफ कहा था कि इनकम टैक्स कानून में बदलाव की जरूरत है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को मोदी 3.0 का पहला पूर्ण बजट पेश किया जिसमें मिडिल क्लास को बड़ी राहत दी गई है. बजट में 12 लाख तक सालाना आय पर इनकम टैक्स जीरो करने का प्रस्ताव है, मतलब ये कि अब साल में 12 लाख तक कमाने वाले को टैक्स नहीं देना पड़ेगा. इसके अलावा भी अन्य आय वर्ग को लोगों को इनकम टैक्स में राहत दी गई है. टैक्स स्लैब में बदलाव से पहले वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि अगले सप्ताह नया इनकम टैक्स बिल लाया जाएगा. ऐसे में लोगों को कन्फ्यूजन है कि अगर नया बिल लाना है तो आखिर टैक्स स्लैब में बदलाव की जरूरत क्या है?
अगले साल से लागू होंगे नए प्रावधान
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के पूर्व प्रेसिडेंट और टैक्स एक्सपर्ट वेद जैन ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जो नया इनकम टैक्स बिल आएगा वो अगले हफ्ते संसद में पेश होने की उम्मीद है और मानसून सत्र तक उसे पारित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नया बिल अगले साल वित्त वर्ष 2026-27 से लागू हो सकता है, अभी लागू करना मुमकिन नहीं है. लेकिन बजट में टैक्स स्लैब में जो बदलाव हुए हैं, वो सभी एक अप्रैल 2025 से ही लागू हो जाएंगे. लेकिन नए बिल के प्रावधान अगले साल से ही लागू हो पाएंगे. उन्होंने कहा कि बजट में प्रस्तावित टैक्स स्लैब पर नए बिल का कोई असर नहीं पड़ेगा.
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टैक्स एक्सपर्ट वेद जैन ने कहा कि टैक्स स्लैब में हुए बदलावों को नए बिल का हिस्सा बनाया जा सकता है और वित्त वर्ष 2026-27 के लिए भी उन्हें लागू रखा जा सकता है. नए इनकम टैक्स बिल पर उन्होंने कहा कि 6 दशक पुराने कानून को बदलने के मकसद से ये बिल लाया जा रहा है. वित्त मंत्री ने भी इस बात पर जोर दिया कि एक्ट काफी पुराना हो गया है और अब कानून को सरल बनाने की जरूरत है. वेद जैन का कहना है कि कानून के कई प्रावधान जिनकी अब आवश्कता नहीं है, नए बिल में हटा दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि नए बिल में टैक्स की गणना जैसे बुनियादी बदलाव होने की उम्मीद कम है, लेकिन भाषा को आसान बनाकर कानून को छोटा किजा सकता है.
तत्काल की जरूरतों के लिए बजट में संशोधन
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