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दुनिया के इन 5 जगहों को कहा जाता है नरक का दरवाजा? वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पा रहे रहस्य
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धरती पर 5 ऐसी जगहें हैं, जिन्हें नरक का द्वार कहा जाता है. क्या ये सचमुच नरक के द्वार हैं? इनके रहस्य वैज्ञानिकों के लिए भी पहेली बनी हुई है. कुछ ने यहां पाताल लोक के प्रवेशद्वार के सबूत भी दिये हैं.
'धरती पर नरक' ये शायद सिर्फ एक मुहावरा नहीं है. दुनिया में कुछ ऐसी भी जगहें हैं, जिन्हें नरक का द्वार या पाताल लोक जाने का रास्ता कहा जाता है. वैज्ञानिकों का भी ऐसा ही मानना है. इनमें से कुछ जगहें जैसे आइसलैंड का ज्वालामुखीय गड्ढा और एक पानी के नीचे की गुफा है. यहां शायद मानव बलि दी जाती थी. ऐसी ही कुछ जगहें हैं जिन्हें नरक जाने का रास्ता कहा जाता है.
यहां हम दुनिया की ऐसी ही 5 जगहों के बारे में बताएंगे, जो अपने अद्भुत और रहस्यमयी पहलुओं के कारण 'नरक का द्वार' के रूप में मशहूर हैं.
पहली जगह है प्राचीन यरूशलम के बाहर की एक घाटी -गेहिन्ना गेहिन्ना (Gehenna) न्यू टेस्टामेंट में 'नरक' का ग्रीक शब्द है. इसका नाम हिब्रू शब्द 'गे-हिन्नोम' (हिन्नोम की घाटी) से आया है. प्राचीन काल में यह स्थान अमोनाइट देवता मोलोक को प्रसन्न करने के लिए बच्चों की बलि देने के लिए जाना जाता था. इस घाटी में शवों को जलाने की प्रथा ने यहूदी और ईसाई धर्म में 'नरक की आग' की अवधारणा को जन्म दिया. यह माना जाता है कि मरने के बाद जिन लोगों को सम्मानजनक अंतिम संस्कार नहीं मिलता था, उनकी आत्माओं को इस स्थान पर फेंक दिया जाता था. यह स्थान आज भी प्राचीन ग्रंथों में वर्णित "धरती के नरक" की सच्ची तस्वीर पेश करता है.
तुर्किये में स्थित प्राचीन ग्रीक शहर हिएरापोलिस तुर्किए के प्राचीन ग्रीक शहर हिएरापोलिस (Hierapolis) में एक गुफा है, जिसे 'प्लूटो का द्वार' (Pluto’s Gate) कहा जाता है. प्राचीन कहानियों के अनुसार, इस गुफा में बलि दिए गए जानवर जैसे ही प्रवेश करते थे, तुरंत मर जाते थे. विज्ञान ने साबित किया है कि यह गुफा ज़हरीली कार्बन डाइऑक्साइड गैस से भरी हुई है, जो जानवरों और छोटे पक्षियों को मार देती हैं. यह स्थान एक प्रकार की "गैस चैम्बर" जैसा है, जिसे "नरक का दरवाजा" कहा जाता है.
तीसरी जगह है आइसलैंड का हेक्ला ज्वालामुखी आइसलैंड का हेक्ला ज्वालामुखी (Hekla Volcano), यह ज्वालामुखी प्राचीन काल से "नरक का प्रवेशद्वार" माना जाता है. 1104 में इसके विस्फोट ने आधे आइसलैंड को राख और पत्थरों से ढक दिया था. मध्यकालीन ईसाई इस बर्फ से ढके पहाड़ को "नरक की चिमनी" कहते थे। यह माना जाता था कि इसके नीचे पाताल लोक छिपा हुआ है.
पत्थर की समाधि एक्टुन तुनिचिल मुक्नाल बेलीज़ में यह गुफा 'पत्थर की समाधि की गुफा' (Actun Tunichil Muknal) के नाम से जानी जाती है. माया सभ्यता के अनुसार, यह 'ज़िबाल्बा' नामक पाताल लोक का प्रवेशद्वार है. यहां 4 साल के बच्चों सहित बलि चढ़ाए गए कई लोगों के कंकाल पाए गए हैं. कई कंकाल कैल्सियम से ढके हुए हैं, जो इन्हें चमकदार बनाते हैं. माया सभ्यता में प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए इन बलिदानों को आवश्यक माना जाता था.
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