जिन्ना Vs गन्ना: कहां खड़ा है अलीगढ़, पश्चिमी यूपी में फिर राजनीतिक प्रयोग की कोशिश तो नहीं?
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जिन्ना के नाम पर सियासत की शुरुआत अलीगढ़ से होती है. तालों का शहर और शिक्षा का मक्का मदीना कहे जाने वाले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय वाले इस शहर की अपनी एक ऐतिहासिक विरासत है. लेकिन इस शहर पर विवादों का साया तब पड़ा जब साल 2018 में जिन्ना का जिन्न पहली बार जागा.
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव का औपचारिक बिगुल बजना बाकी है लेकिन चुनाव प्रचार पहले ही शुरू हो चुका है. कहीं मुद्दों का शोर है तो कहीं मुद्दे बनाए जा रहे हैं. पश्चिमी क्षेत्र में एक बार फिर जिन्ना का नाम गूंजने लगा है. मोहम्मद अली जिन्ना को लेकर के इतिहास चाहे कुछ भी कहे, लेकिन राजनीति में जिन्ना के नाम को जिंदा रखने की कोशिश की जा रही है ताकि चुनाव में सियासी फायदा उठाया जा सके. तो क्या राजनीति की प्रयोगशाला कहे जाने वाले पश्चिम उत्तर प्रदेश में जिन्ना के नाम पर एक बार फिर राजनीतिक प्रयोग करने की कोशिश तो नहीं?
महाराष्ट्र के ठाणे में एक बच्ची का शव मिलने के बाद लोग आक्रोशित हो गए. दरअसल उल्हासनगर इलाके में तीन दिनों पहले एक बच्ची लापता हो गई थी जिसके बाद परिजनों ने थाने में गायब होने की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. इसी के बाद गुरुवार को उसका शव हिल लाइन पुलिस स्टेशन से कुछ दूरी पर मिला जिसे देखकर स्थानीय लोग भड़क गए.
गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका के निवेशकों के पैसे से भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और ये रिश्वत भी उन प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई, जिससे 20 वर्षों में अडानी ग्रुप की एक कम्पनी को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी भारतीय रुपयों में लगभग 16 हज़ार 881 करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है. आरोप है कि इस मुनाफे के लिए साल 2021 से 2022 के बीच आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ की सरकारों को लगभग 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई.
गौतम अडानी एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि उन पर सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत देने का आरोप है. इस मामले पर NSUI ने भी प्रदर्शन किया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक और व्यावसायिक जगत में खलबली मचा दी है, जिसमें भ्रष्टाचार और व्यापारिक नैतिकता के सवाल शामिल हैं.