जब अटल बिहारी वाजपेयी की कार के पीछे भागे शेखर सुमन, फिर जो हुआ कभी नहीं भूला एक्टर
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शेखर ने कहा कि वो लोगों के किरदार 'इमपर्सनेट' करते थे, 'मिमिक' नहीं क्योंकि वो महज नकल नहीं उतारते थे, बल्कि उनके किरदार निभाते थे. शेखर सुमन ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी एक ऐसी कहानी भी बताई जो वो कभी नहीं भूल सकते.
शेखर सुमन का नाम इंडियन टीवी के इतिहास में हमेश बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. भारत में टीवी के शुरुआती दौर में उन्होंने 'वाह जनाब', 'देख भाई देख' और 'छोटे बाबू' जैसी कई आइकॉनिक शोज में काम किया. केबल टीवी के गोल्डन दौर में शेखर ने सोनी टीवी पर टॉक शो 'मूवर्स एंड शेकर्स' लेकर आए, जिसे वही होस्ट करते थे. इस शो को आज भी सटायर के मामले में एक यादगार शो माना जाता है. अब शेखर ने कहा कि वो लोगों के किरदार 'इमपर्सनेट' करते थे, 'मिमिक' नहीं क्योंकि वो महज नकल नहीं उतारते थे, बल्कि उनके किरदार निभाते थे. शेखर सुमन ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी एक ऐसी कहानी भी बताई जो वो कभी नहीं भूल सकते.
प्रधानमंत्री पर भी सटायर करते थे शेखर सुमन सिद्धार्थ कन्नन के साथ एक इंटरव्यू में शेखर ने बताया कि जब वो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का किरदार निभाते थे तो लोग बोलने लगे कि 'तुम प्रधानमंत्री के बारे में बोल रहे हो, ऐसा कैसे हो सकता है, उन्हें बुरा नहीं लगेगा?' मैंने कहा कि 'एक ग्रेट स्टेट्समैन की पहचान ही यही है कि वो थोड़े से सेन्स ऑफ ह्यूमर के साथ सबकुछ सर ऊंचा करके सुन सकता है. जैसे कार्टूनिंग होती है, आप जाकर ये थोड़ी बोल सकते हो कि मेरी नाक लंबी क्यों बना दी, मेरी ठुड्डी ऐसे क्यों निकाल दी... वो एक आर्ट है. सटायर एक आर्ट है. वो जोक्स कभी नहीं होते थे. मेरे पास जो भी खबरें और जानकारी होती थी, वो उनपर एक व्यंग्य होता था.
शेखर ने इसके बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से अपनी मुलाकात का किस्सा भी सुनाया. उन्होंने बताया, 'मुझे एक दिन पता लगा दिल्ली से कि वाजपेयी साहब आपसे बहुत खुश हैं, आपका कार्यक्रम रोज रिकॉर्ड करके देखते हैं. महालक्ष्मी रेसकोर्स में किसी इंडस्ट्रियलिस्ट के बेटे की शादी थी, मैं भी वहां गया था. मुझे पता लगा कि वाजपेयी जी वहां आए हैं. मैं दौड़ा... मैंने कहा कि आज ये मौका तो मैं नहीं जाने दूंगा. और मेरी कहीं सिक्योरिटी चेकिंग नहीं होती थी उस वक्त, मशहूर था उस वक्त.'
शेखर ने बताया कि बिल्कुल फिल्मों की तरह सीन हुआ और जबतक वो दौड़कर पहुंचे वाजपेयी जी गाड़ी में बैठ चुके थे, काफिला चल गया! लेकिन उन्होंने फिर से एक और चांस लिया. शेखर ने बताया, 'मैंने आगे देखा कि छगन भुजबल साहब खड़े हैं, मैं दौड़कर वहां खड़ा हो जाता हूं, मैंने वाइफ को भी वहां खींच लिया. ये सोचकर कि काफिला यहां से गुजरेगा तो इन्हें (छगन भुजबल को) तो नमस्ते करने के लिए देखेंगे ही. मैं भी फ्रेम में अटक लूंगा.'
जब अटल बिहारी वाजपेयी ने शेखर सुमन को लगाया गले शेखर ने प्रधानमंत्री से मुलाकात का पूरा सीन समझाते हुए बताया, 'हम दोनों खड़े हैं और हमारे पास आकर गाड़ी रुक जाती है. वहां हंगामा हो रहा है, प्रधानमंत्री की गाड़ी रुकी है, अंदर से आवाज आई कि वो किसी से मिलना चाहते हैं. दरवाजा खुलता है. प्रधानमंत्री, जिनके घुटनों में दर्द है, बाहर निकलते हैं, मैं कोई दस गज की दूरी पर था. किसी को कोई अंदाजा नहीं क्या होने वाला है. धीरे-धीरे वो हमारी तरफ आए, मुझे लगा भुजबल साहब के पास आ रहे हैं. भुजबल साहब को लगा होगा उनके पास आ रहे हैं. वो आए और उन्होंने मुझे गले लगा लिया'
शेखर ने किस्सा कंटीन्यू करते हुए कहा, 'मैं कभी नहीं भूल सकता कि कैसे उन्होंने मेरे गाल थपथपाए और बोले- 'बहुत शानदार करते हैं, बहुत अच्छा करते हैं. ऐसे ही आगे बढ़ते रहिए. और आपको एक बात बताऊं, जब आप मुझपर पंच करते हैं तो सबसे तेज मैं ही हंसता हूं.'
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